बक्सर: बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार शाहनवाज हुसैन की बिहार में एंट्री हो गई है. भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें एमएलसी बनाया है. बीजेपी के इस सियासी दांव के बाद बिहार की तमाम राजनीतिक पार्टियों में राजनीति करने वाले मुस्लिम नेताओं को भी अब अपना राजनीतिक सितारा चमकने की उम्मीद दिखाई देने लगी है.
मुस्लिम नेताओं को लगता है कि उनकी पार्टी में भी मुस्लिम नेताओं की पूछ बढ़ेगी. जिसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव धीरे-धीरे मुस्लिम नेताओं के संख्या घटती जा रही है. बिहार के जितने भी राजनीतिक दल हैं चाहे राष्ट्रीय हो या क्षेत्रीय. किसी के पास फिलहाल कोई ऐसा मुस्लिम चेहरा नहीं है. जिसके नाम पर मुस्लिम वोटर को गोलबंद किया जा सके. यही कारण था कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान हैदराबाद की राजनीति करने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने मुस्लिम सियासत को हवा देकर 5 सीट जीत ली है.
बीजेपी ने खेला है बड़ा दांव
बीजेपी ने शाहनवाज हुसैन को बिहार की राजनीति में एंट्री करवा कर एक दूरगामी दांव खेला है. नीतीश कुमार के समर्थक के रूप में जाने जानेवाले सुशील कुमार मोदी को पार्टी ने पहले राज्यसभा भेजा. उसके बाद बिहार में तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया. बीजेपी के इस बदलाव के जरिए भविष्य की रणनीति तैयार करने में लगी हुई है. बीजेपी के इस बदलाव को मुख्यमंत्री नीतीश कुमारके ऊपर एक दबाव के तौर पर भी देखा जा रहा है. क्योंकि बिहार में इस बदलाव के जरिए सत्ता का भविष्य बुन रहे बीजेपी के नेताओ ने अपने सहयोगियों जदयू को यह संदेश देने की कोशिश किया है कि बीजेपी अब नीतीश कुमार के साये से निकलकर आगे की राजनीति करेगें.