बक्सरः साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के अंदर कई गुट तैयार होने लगे हैं. पार्टी नेताओं की माने तो शीर्ष नेतृत्व यदि अपने करीबियों और परिचितों को टीकट देगी तो 2015 वाला खामियाजा फिर भुगतना पड़ेगा.
2015 में नहीं खुला था जिले में खाता
बक्सर विधानसभा सीट से लगातार जीत हासिल करने वाली बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुखदा पांडेय का टिकट 2015 में काट दिया गया था. उनकी जगह पर प्रदीप दुबे और ब्रह्मपुर विधानसभा सीट से विवेक ठाकुर को टिकट मिलने से पार्टी के कार्यकर्ता इतना नाराज हो गए कि खुद भी मतदान करने नहीं गए थे. नतीजा यह हुआ कि पार्टी अपनी पारांपरिक सीट पर हार गई.
अपनी-अपनी दावेदारी
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी नेत्री उषा चौबे ने कहा कि वे हर हाल में बक्सर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेगी. वे लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रही है और एक सामान्य कार्यकर्ता को भी मौका मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस सीट पर जब भी महिला प्रत्याशी का टिकट काटा गया है. पार्टी को कीमत चुकानी पड़ी है.
सभी को मानना चाहिए पार्टी का आदेश
पार्टी नेताओं के अंदर सुलग रहे चिंगारी को दबाने में जुटी जिलाध्यक्ष माधुरी कुंवर ने कहा कि पूरे शाहाबाद में 8 सीटों पर राजपूत, 6 सीटों पर ब्राम्हण, 1 सीट पर भूमिहार और अन्य 8 सीटों पर पिछडा एवं अति पिछड़ा समाज के लोग चुनाव लड़ेंगे. इसलिए अनर्गल बयानबाजी करना छोड़ कर सभी को पार्टी का आदेश मानना चाहिए.
गौरतलब है कि बक्सर विधानसभा सीट से अब तक भारतीय जनता पार्टी के डेढ़ दर्जन से अधिक नेता अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं. दावेदारों का कहना है कि यदि पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरेंगे. ऐसे में सभी को समझा पाना पार्टी के लिए कठिन टास्क हो गया है.