बक्सर: वैश्विक महामारी कोरोना के बीच बिहार से लेकर केंद्र तक के सभी नेताओं की निगाहें 5 महीने बाद बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव पर टिकी हुई हैं. दूसरे प्रदेश से आने वाले प्रवासी श्रमिकों का दिल जीतने के लिए विपक्ष से लेकर सत्ताधारी दल के नेता प्रतिदिन नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं. कोई प्रवासी श्रमिकों के जख्मों पर मरहम लगाने में लगा है, तो कोई उनके जख्मों को ताजा कर सरकार को घेरने में, यही कारण है कि बिहार में आने वाले प्रवासी श्रमिकों को गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है.
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आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में प्रदेश के लिए सबसे बड़ा गेम चेंजर होंगे प्रवासी श्रमिक. दूसरे प्रदेश से आने वाले बिहारियों को रोजगार देना नीतीश कुमार के लिए चुनौती है.
राजद नेताओं को बीजेपी ने दिया जवाब
प्रवासी श्रमिकों की समस्या को लेकर सरकार को घेरने में जुटे राजद नेताओं पर पलटवार करते हुए बीजेपी जिलाध्यक्ष माधुरी कुंवर ने कहा है कि राजद के नेता ठीक ही कह रहे हैं कि प्रवासियों के साथ जानवरों के जैसा व्यवहार किया जा रहा है, लेकिन राजद के नेताओं को ये भी बताना चाहिए कि इन बिहारियों के लिए प्रवासी शब्द की उतपत्ति किसके शासन काल में हुई. किसके डर से बिहार के मजदूर, व्यापारी, डॉक्टर, इंजीनियर इस प्रदेश को छोड़कर गए. बिहार की जनता इनकी चिकनी बातों में फिसलने वाली नहीं है. हमारे श्रमिक बहुत समझदार हैं.