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Vishram Sarovar of Buxar: अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है विश्राम सरोवर, त्रेता युग में भगवान राम ने यहां किया था स्नान

बक्सर में विश्राम सरोवर की स्थिति बदहाल (Bad Condition Of Vishram Sarovar In Buxar) होती जा रही है. इस सरोवर में भगवान राम ने पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के अपने अंतिम पड़ाव में 88 हजार साधु संतों के साथ डुबकी लगाई थी. अब वही त्रेता युग का विश्राम सरोवर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बक्सर में विश्राम सरोवर
बक्सर में विश्राम सरोवर

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 19, 2023, 11:47 AM IST

बक्सर में विश्राम सरोवर

बक्सर: बिहार में विश्वामित्र की पावन नगरी बक्सर में भगवान श्री राम और महर्षि विश्वामित्र से जुड़े तमाम धार्मिक स्थलों की पहचान मिटती जा रही है. इन स्थलों पर भू-माफिया धीरे-धीरे कब्जा करने में लगे हैं. शहर के बीचो-बीच स्थित विश्राम सरोवर आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण, महर्षि विश्वामित्र और 88 हजार ऋषियों के साथ इस सरोवर में स्नान कर यंहा रात्रि विश्राम किया था. जिसकी पहचान अब मिटने की कगार पर है.

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राक्षसों का अंत करने पहुंचे थे भगवान राम: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में व्याघ्रसर के नाम से प्रसिद्ध बक्सर में जब ताड़का, सुबाहु मारीच आदि राक्षसो का अत्याचार बढ़ गया तो, महर्षि विश्वामित्र अयोध्या आए थे. वो अपने साथ भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर आए. जंहा भगवान राम ने ताड़का सुबाहु, मारीच, आदि राक्षसों का बध कर इस क्षेत्र को राक्षस विहीन कर दिया.

पंचकोशी परिक्रमा यात्रा के अंतिम पड़ाव आए राम: नारी हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए उत्तरायणी गंगा की तट पर भगवान राम ने स्नान किया. जिसे रामरेखा घाट के नाम से जाना जाता है. वहां से महर्षि विश्वामित्र के आदेश अनुसार भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण और 88 हजार साधु संतों के साथ पांच कोष की परिक्रमा की थी. जिसे आज भी पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के नाम से जाना जाता है. हर साल अगहन मास में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस पंचकोसी परिक्रमा यात्रा में भाग लेने के लिए बक्सर पहुंचते हैं.

पहले पड़ाव में किया था अहिल्या का उद्धार: अपने पंचकोसी परिक्रमा यात्रा के पहले पड़ाव में भगवान श्री राम सबसे पहले अहिल्या के उद्धार स्थली अहिरौली पहुंचे थे. जंहा पत्थर रूपी अहिल्या का उन्होंने उद्धार किया. दूसरे पड़ाव में नारद मुनि के आश्रम नदाव, तीसरे पड़ाव में भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर, चौथे पड़ाव में उद्धाल्क ऋषि के आश्रम उनवास, एवं पांचवे और अंतिम पड़ाव में विश्वामित्र मुनि के आश्रम बक्सर पहुंचे थे.

भगवान राम ने लगाया लिट्टी-चोखा का भोग: विश्वामित्र मुनि के आश्रम बक्सर पहुंचकर भगवान राम ने चरित्रवन में लिट्टी-चोखा का भोग लगाया. जिसके बाद इस विश्राम सरोवर के तट पर रात्रि विश्राम किया. इसके बाद वो जनकपुर के लिए प्रस्थान कर गए. वही विश्राम सरोवर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. सरोवर की दुर्दशा को लेकर संत सुदर्शनाचार्य जी महाराज ने बताया कि त्रेता युग में जिस सरोवर में भगवान राम की चरण पादुका पड़ी था आज वह अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहा है.

"कई सांसद, विधायक, मंत्री, जिला अधिकारी से इसकी लिखित शिकायत की गई लेकिन आज तक किसी ने इस पर संज्ञान नहीं लिया. आलम यह है कि धीरे-धीरे भू माफिया भगवान राम और महर्षि विश्वामित्र से जुड़े तमाम धार्मिक स्थलो पर कब्जा कब्जा करते जा रहे हैं. प्रशासनिक अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं."-संत सुदर्शनाचार्य जी महाराज

बदहाल स्थिति पर स्थानीय लोगों में है नाराजगी: वहीं गंगा आरती के पुजारी लाल बाबा ने बताया कि बक्सर का धार्मिक ग्रंथो में बनारस से भी ज्यादा महत्व बताया गया है. यंहा भगवान विष्णु को स्वयं वामन रूप में अवतार लेना पड़ा था. वैसे धार्मिक स्थलों पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. इससे ज्यादा दुख की बात क्या होगी कि विश्वामित्र की नगरी में विश्वामित्र की एक भी प्रतिमा नहीं है. स्थानीय सुरेश राय ने बताया कि कई बार हम लोगों ने जिलाधिकारी से लेकर यहां के जनप्रतिनिधियों से इस बात की लिखित शिकायत की है. उनसे कई दशक बीत जाने के बाद भी केवल आश्वासन मिला है.

"इस विश्राम सरोवर की बदहाल स्थिति को लेकर आज तक किसी ने अपने फंड से 1 रुपये भी इस धार्मिक सरोवर के जीर्णोद्धार के लिए नहीं दिया है. आलम यह है कि धीरे-धीरे अब इस धार्मिक सरोवर का अस्तित्व ही मिटता जा रहा है."-सुरेश राय, स्थानीय

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