बक्सरःबात जब भी भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयीकी होती है, तो उनका बिहार से संबंधों (Atal Bihari Vajpayee Relation With Buxar) का जिक्र न करना बेईमानी होगी. पूर्व प्रधानमंत्री का यूं तो भारत के कोने-कोने से जुड़ाव था, लेकिन खासकर बिहार के बक्सर से अटलजी का गहरा संबंध रहा. यहां के खान-पान उन्हें खूब पसंद थे. बिहार का लिट्टी-चोखा और बक्सर की पापड़ी (Atal ji Loved Litti chokha And Papdi) उनके दो खास डिश थे. यही कारण है कि अटलजी जीवन भर न तो बक्सर को भूल पाए और न ही बक्सर उनको.
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सिविल लाइन बक्सर के रहने वाले विनोद उपाध्याय बतातें हैं साल 1968 था. मेरे पिताजी जिला संघ संचालक थे. तब अटल जी ट्रेन से यात्रा करते हुए बक्सर से गुजरने वाले थे. तो मैं अपने पिताजी स्वर्गीय राम उदार राय के साथ थर्मस में दूध लेकर स्टेशन गया और अटल जी को पीने के लिए दिया.
वो आगे बताते हैं कि सन 1974 में अटल जी मेरे घर भी आए थे. सेवा सत्कार हुआ. आवभगत हुई. प्रातः का जलपान करने के बाद मेरे घर के बगल में ही स्वर्गीय मोहन जी सहाय के यहां बैठक हुई. इसके बाद चूंकि अटल जी को लिट्टी चोखा और पापड़ी खूब पसंद थी, इसलिए भोजन में यही परोसा गया. अटल जी ने इन दोनों डिश का खूब आनंद लिया था.
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एक समय की बात है, जब वो बक्सर के ब्रह्मपुर में आए थे. उस समय वहां के विधायक स्वामीनाथ तिवारी हुआ करते थे. विधायक जी ने कोइलवर तटबंध का नक्शा बदलवाने के लिए अनशन किया था और पत्र के माध्यम से वाजपेयी जी को इस समस्या से अवगत करवाया था. इसके बाद खुद वाजपेयी जी ने इसे संज्ञान में लिया और समस्या के निदान के लिए आश्वस्त किया. बाद में वह कार्य पूरा भी हुआ.