बक्सर:केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि बिहार के कृषि आधारित उद्योगों को नई पहचान मिलेगी. इसके लिए विशेष आर्थिक पैकेज में अलग से व्यवस्था की गई है. मखाना कलस्टर बनने से उत्पादन एवं गुणवत्ता के साथ रोजगार के नए द्वार खुलेंगे. साथ ही केला, जरदालु आम, लीची, टमाटर और अन्य फलों से तैयार होने वाले खाद्य प्रसंस्करण को भी अलग पहचान मिलेगी. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री आत्मनिर्भर भारत के तहत विशेष आर्थिक पैकेज को लेकर बिहार में कृषि आधारित उद्योगों को नई पहचान पर अपनी बात रख रहे थे.
मखाना कलस्टर होगा रोल मॉडल
अश्विनी चौबे ने कहा कि बिहार में मखाना कलस्टर भविष्य में एक रोल मॉडल साबित होगा. यह कलस्टर अन्य कृषि आधारित उद्योगों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने और रोजगार के नए मार्ग खोलने में अहम भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा कि देश का सबसे बड़ा मखाना उत्पादक राज्य बिहार है. उत्तर बिहार के सीतामढ़ी, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल,अररिया, कटिहार, किशनगंज आदि जिलों में इसकी खेती होती है.
केंद्र सरकार ने कृषि आधारित उद्योगों को बुनियादी रूप से मजबूत बनाने और विशेष पहचान दिलाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए पैकेज निर्धारित किए हैं. इसमें अन्य राज्यों की तरह बिहार के मखाना उद्योग को भी शामिल किया गया है. इससे मखाना उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलेगी.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी अलग पहचान
इसके अलावा बिहार के अन्य कृषि आधारित उद्योगों को भी अलग पहचान मिलेगी. अपने संसदीय क्षेत्र बक्सर का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि यहां गेहूं और चावल के अलावा टमाटर की खेती बड़े पैमाने पर होती है. टमाटर से बनने वाले दूसरे खाद्य पदार्थ बनाने के लिए यहां किसानों को प्रशिक्षित और उद्योग लगाने के लिए सार्थक बातचीत चल रही है.
बिहार के कई फल मशहूर
बिहार के मुजफ्फरपुर के लीची की भी अंतरराष्ट्रीय पहचान है. हाजीपुर और नवगछिया का केला, भागलपुर का जरदालु आम, कतरनी चावल इन सभी के खाद्य प्रसंस्करण तैयार कर अलग से पहचान दिलाने में भी विशेष पैकेज के अंतर्गत मदद मिलेगी. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार शहरी के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए काम कर रही है. इससे रोजगार के नए अवसर खुलेंगे, उत्पादन बढ़ेगा. साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक अलग पहचान मिलेगी.