बक्सरःबिहार के बक्सर जिला डुमरांव के नावानगर प्रखंड के गिरिधर बराव गांव (Giridhar Barao Village) में एक किसान के खेत से खुदाई के दौरान प्राचीन कालीन सोने के 5 सिक्के (Ancient Gold Coins Found In Buxar) मिले. सिक्के मिलने की खबर जंगल में आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई. देखते ही देखते सैकड़ों ग्रामीण इकठ्ठा हो गए. किसी ने इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को दे दी. मौके पर पहुंची पुलिस तीन सिक्के को बरामद करने के साथ ही अन्य 2 सिक्कों की बरामदगी के लिए ग्रामीणों से पूछताछ कर रही है.
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खेत के पास पुलिस की पहराःबताया जाता है कि किसान परिवार अपने खेत से निकलने वाले सोन के सिक्कों को पुलिस को देने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद पुलिस समझाने का प्रयास कर रही है. किसान के खेत से बरामद सिक्का किस शासन काल का है इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि यह सिक्का चेरो खरवार के प्रसिद्ध राजा केशवा महाराज के काल का है. उक्त खेत के पास पुलिस ने पहरा बिठा दिया है. सूत्रों की माने तो पुरातत्व विभाग से इस पूरे खेत की खुदाई कराई जाएगी. अन्य लोगों के वहां जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
कैसे मिली लोगों को सोने के सिक्के की खबरःमिली जानकारी के अनुसार जिस खेत से सोने के सिक्के मिले हैं, वह बिहारी साह और हरिहर साह का खेत है. जिस पर गांव के ही धंनेश्वर महतो की पत्नी बिहसी देवी और उसका पुत्र भीम महतो मालगुजारी पर सब्जी की खेती कर रहे थे. रविवार को बिहसी अपने बेटे के साथ सब्जी की फसल उगाने के लिए बांस बल्ला गाड़ने के लिए जमीन की खुदाई कर रही थी. इस दौरान एक-एक कर पांच सोने के सिक्के मिले. आसपास के किसानों ने जब खेत से सोने के सिक्के निकलते देखा तो पूरे गांव में इसकी चर्चा कर दी और बात पुलिस तक पहुंच गई.
राजा महाराजाओं का रियासत रहा है डुमरांवःदरअसल डुमराव अनुमंडल शुरू से ही राजाओं महाराजाओं की रियासत होने के कारण आर्थिक रूप से समृद्ध रहा है. स्वर्गीय महाराजा कमल सिंह का परिवार यहां शासन करता था. आज भी डुमरांव शहर में अस्पताल, मंदिर, स्कूल जो भी दिखाई दे रहा है वह राज परिवार की ही देन है. जिसके कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आसपास के इलाकों में सोने का खदान हो सकता है.
600 साल पहले था चेरो खरवार शासनःजानकारों की मानें तो जहां से सोने का सिक्का मिला है वह गिरीधर बरांव गांव है. इस गांव से महज चार-पांच किलोमीटर दूर तकरीबन 600 साल पहले चेरो खरवार के वंशज इस इलाके में रहते थे, वो केसठ गढ़ पर रहते थे. उन दिनों केसठ गांव का नाम रसीदपुर था जो केसठ बस स्टैंड से पश्चिम भाग में था. चेरो खरवार के वंशजों के यहां से चले जाने के बाद रसीदपुर गांव के पास नदी बहा करती थी. जिसमें बाढ़ आने के बाद रसीदपुर के लोग गढ़ के आसपास के हिस्सों में आकर रहने लगे. लोगों का मानना है कि चेरो खरवार के राजा का नाम केसवा था. जिसके नाम पर रसीदपुर का नाम केसठ रखा गया. कुछ बुजुर्गों की मानें तो यहां केसवा नाम का राक्षस रहता था, जिसके नाम पर केसठ नाम रखा गया.