बक्सर सीट पर महागठबंधन में दावेदारी बक्सर: 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए के हाथों मिली करारी हार के बाद विपक्षी दलों के नेता 2024 के आम चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने की तैयारी कर रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 23 जून को राजधानी पटना में 18 से अधिक विपक्षी दलों की बैठक होनी है. उससे पहले ही महागठबंधन के घटक दल सीटों का गुणा-गणित बैठाना शुरू कर दिया है. इसी बीच बक्सर लोकसभा सीटको लेकर महागठबंधन में शामिल तीन दलों ने अपनी दावेदारी पेश कर गठबंधन की गांठ को ढीला कर दिया है. जिस पर बीजेपी के स्थानीय सांसद अश्विनी चौबे ने तंज कसते हुए कहा कि महागठबंधन में कुर्सी की लड़ाई है.
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लाल झंडे का गढ़ है बक्सर लोकसभा क्षेत्र: 14 जून को नगर थाना क्षेत्र के नगर भवन में माले के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड दीपांकर भट्टाचार्य के नेतृत्व में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया था. इस दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए दीपांकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट कर दिया था कि बक्सर लाल झंडे का गढ़ है और यहां से माले का ही उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा.
आरजेडी की रही है परंपरागत सीट:वहीं, आरजेडी के नेताओं का मानना है कि 2009 से लेकर 2014 और 2019 में आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह यहां से लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं. इस बार भी राष्ट्रीय जनता दल का ही उम्मीदवार महागठबंधन की ओर से इस लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेगा.
कांग्रेस को नागवार गुजरी माले और आरजेडी की दावेदारी:उधर महागठबंधन के घटक दल आरजेडी और भाकपा माले के द्वारा बक्सर लोकसभा सीट से की जा रही दावेदारी पर सदर कांग्रेस विधायक संजय तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने कहा कि बक्सर लोकसभा सीट कभी भी माले और आरजेडी का गढ़ नहीं रही है. आरजेडी के नेता तीन बार चुनाव लड़कर देख चुके हैं. अगर कांग्रेस का उम्मीदवार चुनाव लड़ता है तो जीत तय है.
"बक्सर कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. कांग्रेस के नेता यहां से चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री भी रहे हैं. इसलिए यह सीट कांग्रेस की है. अश्विनी कुमार चौबे को हराने के लिए दमखम वाले नेता की जरूरत है, जिसे समाज के सभी धर्म समुदाय के लोग वोट करें. वैसे भी ब्राह्मण की काट ब्राह्मण ही हो सकता है"-मुन्ना तिवारी, विधायक, कांग्रेस
बीजेपी का महागठबंधन पर हमला:महागठबंधन के तीन दलों की ओर से एक ही सीट पर की जा रही दावेदारी पर स्थानीय सांसद सह केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने तंज कसते हुए कहा कि गठबंधन के जो तमाम दल हैं, वह इसी तरह से कुर्सी के लिए लड़कर इधर-उधर फेंके जाएंगे क्योंकि 2024 में प्रधानमंत्री पद की कोई बहाली नहीं है. देश की जनता ने पहले ही नो वैकेंसी का बोर्ड लगा दिया है.