बिहार

bihar

रबी फसल की बुवाई में एग्रीकल्चर फीडर बना सहायक, किसानों को मिल रही 18 घंटे बिजली

By

Published : Dec 15, 2020, 7:16 PM IST

Updated : Dec 15, 2020, 7:30 PM IST

रबी फसल की बुवाई में एग्रीकल्चर फिडर से किसानों को 18 घंटे बिजली मिल रही है. जिला के 5 प्रखंडों चौसा, सिमरी, ब्राह्मपुर, चक्की के अलावे बक्सर प्रखंड के कुछ इलाको में नहर की सुविधा नहीं है. यहां किसान ट्यूबेल के सहारे खेती करते हैं.

buxar
buxar

बक्सर:जिले में किसान रबी की फसल की बुवाई कर रहे हैं. इस बार हथिया नक्षत्र में बारिश नहीं होने के कारण खेतों की नमी चली गई. इससे किसान ट्यूबेल के सहारे खेतो की सिंचाई कर रहे हैं. जिला कृषि कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 60 प्रतिशत किसानों ने फसल की बुवाई पूरी कर ली है.

रवि फसल की बुवाई

कृषि वैज्ञानिकों की माने तो जिले में रबी फसल की बुवाई के लिए 15 नवंबर से 15 दिसंबर की तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है. गंगा दियारा इलाके को छोड़कर जिस इलाके में धान की खेती होती है, वहां के किसान धान की कटनी के बाद खेतों की सिंचाई कर रबी फसल की बुवाई करते हैं, जहां नहर की सुविधा नहीं है वहां के किसान ट्यूबेल के सहारे अपने खेतों की सिंचाई कर रबी फसल की बुवाई करते हैं.

देखें रिपोर्ट

65 प्रतिशत खेतों तक एग्रीकल्चर फीडर से पहुंचा बिजली

कृषि कार्य को सुगम करने के लिए जिस इलाके में सिंचाई के लिए नहर का संसाधन नहीं है वहां 65 प्रतिशत खेतों तक एग्रीकल्चर फीडर से बिजली प्राप्त हो रही है. यही कारण है कि गंगा दियारा के किसान भी अब खरीफ और रबी दोनों फसल की बुवाई करने लगे है.

खेतो की सिंचाई

"हथिया नक्षत्र में बारिश नहीं होने के कारण खेतों की नमी चली गई है. किसान खेतों की सिंचाई कर रबी फसल की बुवाई कर रहे हैं. 60 प्रतिशत से अधिक किसानों ने रबी फसल की बुवाई कर ली है. 5 दिनों के अंदर रबी फसल की बुवाई शत-प्रतिशत सम्पन्न हो जाएगी."- डॉक्टर मांधाता सिंह, वैज्ञानिक, कृषि अनुसंधान केंद्र

खेत में लगे फसल

"नीतीश सरकार में भले ही किसानों को कोई सहूलियत नहीं मिला हो, लेकिन हर खेत तक बिजली का कनेक्शन पहुंच गया है. 18 घंटे एग्रीकल्चर फीडर से किसानों को बिजली प्राप्त हो रही है. जिससे कृषि कार्य आसान और सस्ता हो गया है."- लाल बिहारी गोंड, किसान

बिजली की सुविधा

धान का रिकॉर्ड उत्पादन
गौरतलब है कि कोरोना वैश्विक महामारी के बीच जिले के किसानों ने प्रवासी श्रमिकों के सहयोग से 90,000 हेक्टेयर भूमि पर धान का रिकॉर्ड उत्पादन कर असंभव को संभव बना दिया है. इसके बाद किसान युद्ध स्तर पर अब रबी फसल की बुवाई करने में लगे हुए हैं.

Last Updated : Dec 15, 2020, 7:30 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details