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पैक्स अध्यक्षों पर लगाम, किसान परेशान- दी भूख हड़ताल की चेतावनी - सहकारी समिति के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह

जिला सहकारी समिति की मांग है कि राज्य खाद्द निगम की ओर से अविलंब 25 जनवरी तक क्रय केंद्र प्रारंभ किया जाए, नहीं तो समिति धान क्रय करमा बंद कर देगी.

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Published : Jan 23, 2020, 1:35 PM IST

औरंगाबाद:धान अधिप्राप्ति के निर्धारित लक्ष्य के बावजूद पैक्स अध्यक्षों को मात्र 1 हजार क्विंटल धान खरीदी का ही बैंक क्रेडिट दिया गया है. इस वजह से 90 प्रतिशत किसानों की धान खरीदी नहीं हो पा रही है. इससे परेशान सहकारी समिति के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह ने भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है.

परेशान हैं किसान
जिले के हर पंचायत के पैक्स अध्यक्षों को मात्र 1 हजार क्विंटल धान खरीदी के लिए बैंक क्रेडिट दिया गया है. इस वजह से किसान 13-14 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से खुले बाजार में धान बिचौलियों के हाथों बेचने को मजबूर हैं.

जिला सहकारी समिति की बैठक

भूख हड़ताल पर बैठने की मांग
किसानों की इस हालत को देखते हुए जिला सहकारी समिति के अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह ने 27 जनवरी से भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि उनकी मांगें 26 जनवरी तक नहीं मानी गईं, तो 27 जनवरी से वे भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे.

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क्या हैं मांगें?
समिति की मांग है कि राज्य खाद्द निगम की ओर से अविलंब 25 जनवरी तक क्रय केंद्र प्रारंभ किया जाए, नहीं तो समिति धान क्रय करमा बंद कर देगी. जिला टास्क फोर्स के निर्देश पर बैंक की ओर से समितियों को कैश क्रेडिट ऋण उपलब्ध हो गया है. साथ ही समितियों ने धान खरीदकर चावल भी तैयार कर लिया है. लेकिन, राज्य खाद्य निगम का क्रय केन्द्र प्रारंभ नहीं होने के कारण ब्याज के दर में लगातार वृद्धि हो रही है.

पेश है रिपोर्ट

इसके साथ ही जिला सहकारी समिति के अध्यक्ष ने ये मांगें भी रखी हैं-

  • राज्य खाद्य निगम की ओर से सीएमआर आपूर्ति के लिए प्रखण्डवार और सप्ताहिक तिथिवार समय सारणी की व्यवस्था, ताकि समिति के लदे ट्रक को गोदाम में चावल गिराने में 2 दिन से ज्यादा समय न लगे.
  • जिला टास्क फोर्स की ओर से समितियों को निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध 20 और 40 प्रतिशत कैश क्रेडिट ऋण की सुविधा, जिससे निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति ससमय किया जा सके.

घाटे में किसान
गौरतलब है कि धान की पैदावार इस बार वैसे ही कम हुई है. किसान शीतलहरी और बारिश के कारण फसल का नुकसान पहले ही झेल चुके हैं. ऐसे हालात में पैक्स की ओर से खरीदी नहीं होने से उन्हें और भी घाटा हो रहा है. अब देखना है कि जिला सहकारी समिति की मांगें कबतक पूरी हो पाती है.

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