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औरंगाबाद: नए श्रम कानूनों के विरोध में एनपीजीसी में यूुनियन ने किया चक्का जाम - Countrywide trade union strike

देशव्यापी ट्रेडयूनियन का हड़ताल का मिला जुला असर जिले में भी देखने को मिला. जिले के एनपीजीसी पावर प्लांट में यूनियन कार्यकर्ताओं ने चक्का जाम कर केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी व प्रदर्शन किया.

औरंगाबाद
श्रम कानून के विरोध में ट्रे़ड यूनियन का औरंगबाद में विरोध प्रदर्शन

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Published : Nov 26, 2020, 5:39 PM IST

औरंगाबाद:केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न श्रम कानूनों को निरस्त कर 4 नए कानून बनाने के निर्णय का विरोध जिले में भी जारी रहा. नए श्रम कानूनों के विरोध में भारत के सभी ट्रेड यूनियनों के भारत बंद का असर औरंगाबाद में भी देखने को मिला. जिले के दाउदनगर, गोह, हसपुरा आदि जगहों पर सड़कों पर यूनियन और राजद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. वहीं, नबीनगर स्थित एनटीपीसी के अंतर्गत एनपीजीसी पावर प्लांट में भी यूनियन ने चक्का जाम कर आंदोलन किया.

जिले में यूनियन के विरोध प्रदर्शन पर इंटक के प्रदेश मंत्री सह एनपीजीसी सचिव भोला यादव ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा मजदूर विरोधी बनाए गए श्रम कानूनों खिलाफ श्रम संगठनों द्वारा राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इंटक सचिव ने बताया कि 44 श्रम कानूनों को 4 लेबर कोड में बदलने के विरोध में एटक, इंटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी, एमईसी और आईसीटीयू से जुड़े मजदूरों ने आज चक्का जाम किया है.

'यह सरकार न मजदूर को मजदूरी न किसान को लागत देना चाहती है'
मजदूर नेता भोला यादव ने कहा कि देश में ना सिर्फ मजदूरों को 12 घंटे काम करने पर मजबूर किया जा रहा है. बल्कि किसानों को भी उनके फसलों के उचित मूल्य ना देने और जमाखोरी को बढ़ावा देने के लिए सरकार उद्योगपतियों और जमाखोरों के लिए काम कर रही है. जिस कारण किसान-मजदूर आज पूरे देश में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ये कानून जब तक समाप्त नहीं किए जाएंगे तबतक मजदूर संगठन विरोध करते रहेंगे.

वहीं, एनपीजीसी मजदूर कांग्रेस के अध्यक्ष वरुण कुमार सिंह ने बताया कि पहले मजदूरों को 8 घंटे के काम की अनिवार्य व्यवस्था थी. उनके इच्छानुसार ओवरटाइम की व्यवस्था थी. जबकि नए कानून के तहत ओवरटाइम की कोई जिक्र नहीं है. बल्कि अब 12 घंटे काम की बाध्यता कर दी गई है. वरुण सिंह ने बताया कि ऐसे में मजदूरों का शोषण होगा और मिल मालिकों का अत्याचार बढ़ेगा.

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