औरंगाबाद: शनिवार को संध्या अर्घ्य के बाद जिले के सूर्य देव मंदिर में मची भगदड़ के बाद से लोगों में खासा नाराजगी देखने को मिल रही है. बताया जाता है कि सूरजकुंड जाने वाले रास्ते में पुलिस-प्रशासन की अनदेखी सामने आई. लोगों का कहना है कि यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचे थे. लेकिन पुलिस की चुस्ती नहीं दिख रही थी. इस वजह से भगदड़ मची.
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
लोगों का कहना है कि सूरजकुंड जाने वाले रास्ते को वन-वे किया गया था. लेकिन, पुलिस-प्रशासन के नहींं होने का कारण श्रद्धालु एक-दूसरे पर चढ़ कर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने पहुंच रहे थे. जानकारी के मुताबिक श्रद्धालु सूप और दौरा लेकर एक ही लाइन में आना जाना शुरू कर दिए. इस दौरान किसी भी पुलिस कर्मी को नहीं देखा गया. लेकिन, जब भगदड़ मची तो इसपर काबू पाना प्रशासन के लिए चुनौती साबित हुआ. लोगों का कहना है कि इस भीड़ को रोकने में मजिस्ट्रेट तक लाचार दिखे.
शनिवार की घटना
बता दें कि शनिवार को संध्या अर्घ्य खत्म होने के बाद सूर्य देव मंदिर में भगदड़ मच गई थी. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई लोगों घायल हो गए थे. प्रशासन की मदद से घायलों को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. भगदड़ देख हरकत में आई प्रशासन की टीम और खुद एसपी और डीएम माइक के जरिए भीड़ को काबू में लाने की कोशिश की. लेकिन, भीड़ पर काबू नहीं पाया जा सका. ऐसे में प्रशासन पर सवाल उठना शुरू हो गया कि आखिर इतनी सख्त व्यवस्था के बाद भगदड़ कैसे मची.
प्रशासन की खुली पोल
बता दें कि दव मंदिर में छठ के मौके पर 15 से 20 लाख श्रद्धालु पहुंचे थे. प्रशासन की तरफ से की गई सारी व्यवस्थाएं इस भगदड़ ने उनकी पोल खोल कर रख दी. स्थानीय निवाली ने बतया कि जब भीड़ हद से बेकाबू हो गई तो पूरे मंदिर में अफरा-तफरी मच गई. उन्होंने कहा कि पूरा पुलिस-प्रशासन बिल्कुल लाचार दिख रहा था. हालांकि, डीएम राहुल महिवाल ने बताया था कि उम्मीद से मंदिर में ज्यादा भीड़ जुटी. उन्होंने कहा कि 15 से 20 लाख श्रद्धालु मंदिर में छठ में पूजा कर रहे हैं.