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औरंगाबाद: 30 लाख की आबादी वाले जिले के सदर अस्पताल में नहीं है कोई बर्न वार्ड, दर-दर भटकते हैं मरीज - bad condition of govt hospital of aurangabad

डॉक्टर ने बताया कि यहां अस्थाई बर्न वार्ड चलाया जा रहा है. छत कमजोर होने के कारण उसे परमानेंट वार्ड बनाया नहीं जा सकता है. परमानेंट बर्न वार्ड बनाने के लिए नई बिल्डिंग बनाने की आवश्यकता होगी, इसके लिए उन्होंने सरकार से मांग की है.

सदर अस्पताल

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Published : Jun 7, 2019, 8:51 AM IST

औरंगाबाद: जिले का सदर अस्पताल बदहाली की मार झेल रहा है. इस अस्पताल में एक भी बर्न वार्ड नहीं है. आग उगलते इस गर्मी के मौसम में जिले में हर दिन कहीं ना कहीं अगलगी की घटनाएं हो रही है. यहां आग में झुलस रहे लोगों का इलाज जेनरल वार्ड में किया जा रहा है.

अस्पताल में नहीं है AC
जेनरल वार्ड में आग से जले मरीजों का इलाज होने के कारण इन्फेक्शन होने का खतरा बना रहता है. वहीं, इस अस्पताल में एयर कंडीशन की सुविधा नहीं है. एसी नहीं होने से अगलगी मरीजों को गर्मी से राहत नहीं मिल रही है. इसके साथ ही और भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

प्राइवेट हॉस्पिटल का सहारा
स्थानीय निवासी शुभम कुमार पांडेय बताते हैं कि कई बार हॉस्पिटल में बन वार्ड की मांग की गई. लेकिन, अभी तक बर्न वार्ड की सुविधा नहीं दी गई है. जबकि अधिकतर आबादी सरकारी अस्पतालों पर ही निर्भर है. उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों में रोज लोग कहीं ना कहीं आग से लोग झुलस रहे हैं. ऐसे में उनका इलाज जनरल वार्ड में ही किया जा रहा है. जिससे मरीजों के शरीर में बेचैनी होती है.

जिले के सदर अस्पताल में एक भी नहीं है बर्न वार्ड

सिविल सर्जन ने किया स्वीकार
सिविल सर्जन सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि यहां एक अस्थाई बर्न वार्ड चलाया जा रहा है. छत कमजोर होने के कारण उसे परमानेंट वार्ड नहीं बनाया जा सकता है. परमानेंट बर्न वार्ड बनाने के लिए नई बिल्डिंग बनाने की आवश्यकता होगी. इसके लिए उन्होंने सरकार से मांग की है. डॉक्टर सुरेन्द्र ने बताया कि जनरल वार्ड में एयर कंडीशन की सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को ज्यादा परेशानी हो रही है. उन्होंने इसके लिए भी सरकार को खत लिखा है.

व्यवस्था सुधारने को कर रहे हैं छापेमारी
वहीं, स्वास्थ्य सेवा को सुधारने के लिए डॉ प्रसाद सिन्हा ने बताया कि वे लगातार छापेमारी कर रहे हैं. जिले के गोह प्रखंड में चल रहे अवैध क्लिनिक को सील कर दिया गया है. यहां फर्जी डॉक्टर द्वारा अवैध रूप से डिलीवरी और अन्य मरीजों का ऑपरेशन किया जाता था, जबकि वहां कार्यरत डॉक्टर के पास ऐसी कोई डिग्री नहीं थी.

जिले की इतनी है आबादी
आपको बता दे कि औरंगाबाद जिले की आबादी लगभग 30 लाख है. इसके बावजूद जिले में और भी सभी सरकारी अस्पतालों को मिला दिया जाए तो कहीं भी बर्न वार्ड की सुविधा नहीं है. बर्न वार्ड की सुविधा नहीं होने के कारण आग से जले हुए मरीजों का इलाज ढंग से नहीं हो पा रहा है.

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