रांची/औरंगाबाद: झारखंड में सक्रिय सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को बड़ा झटका लगा है. 15 सालों से झारखंड पुलिस के लिए चुनौती बने कुख्यात नक्सली कमांडर अमन गंझू ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए हैं (Naxalite Aman with reward of 15 lakhs surrendered). अमन गंझू भाकपा माओवादियों में रीजनल कमांडर रैंक में था. झारखंड पुलिस की तरफ से उस पर 15 लाख का इनाम घोषित था, जबकि एनआईए ने चार लाख का इनाम घोषित कर रखा था.
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संगठन को लगा बड़ा झटका: झारखंड को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में पुलिस को यह अहम कामयाबी बुधवार को हाथ लगी. बुधवार को रांची में अमन गंझू ने आईजी अभियान अमोल वी होमकर और सीआरपीएफ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. भाकपा माओवादियों के रीजनल कमेटी में शामिल अमन 2004 से ही सक्रिय था. अमन के आत्मसमर्पण से माओवादियों के कोयल संख जोन सहित पूरे झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ में संगठन को बड़ा झटका लगा है.
गढ़वा और लातेहार में एक दर्जन से अधिक कांडों का है आरोपी: आत्मसमर्पण करने वाले अमन के खिलाफ झारखंड के गढ़वा और लातेहार जिले में कुल 17 मामले दर्ज हैं. गढ़वा जिले में सबसे अधिक 10 मामले दर्ज हैं, वहीं लातेहार में कुल 7 मामले दर्ज हैं. हाल के दिनों में यह सूचना आई थी कि अमन को बिहार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है लेकिन, उस सूचना की पुष्टि नहीं हो पाई थी, लेकिन अमन ने आज झारखंड पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है.
ऑपरेशन डबल बुल और ऑक्टोपस के बाद हुआ था फरार: साल 2022 में झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के द्वारा लातेहार, लोहरदगा और गढ़वा में नक्सलियों के खिलाफ दो बड़े ऑपरेशन अंजाम दिए गए थे. दोनों ऑपरेशन ऑक्टोपस और ऑपरेशन डबल बुल में पुलिस को बेतहाशा सफलता हाथ लगी थी. ऑपरेशन डबल बुल के दौरान अमन पुलिस की गोली से बाल-बाल बचा था, जिसके बाद वह संगठन छोड़कर भाग खड़ा हुआ था. दूसरी तरफ बिहार और झारखंड पुलिस के कई अधिकारी उसके परिवार वालों से संपर्क कर उसे आत्मसमर्पण करने के लिए लगातार दबाव डाल रहे थे. परिवार वालों के संपर्क में आने के बाद अमन ने आत्मसमर्पण का मन बना लिया और उसने संगठन छोड़ रांची में अपने आप को झारखंड पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया.
बिहार का रहने वाला है अमन: अमन उर्फ अनिल उर्फ प्रमुख सिंह साल 2004 में नक्सली विचारधारा से प्रभावित होकर संगठन में शामिल हुआ था. अमन बिहार के औरंगाबाद जिले का रहने वाला है. संगठन में उसके काम को देखते हुए उसे जल्द ही एरिया कमांडर बना दिया गया, जिसके बाद उसने पुलिस पर हमले से लेकर आगजनी और हत्या तक के कई वारदातों को बेखौफ होकर अंजाम दिया. बाद में उसे माओवादियों के रीजनल कमेटी में जगह दी गई. उसके आतंक को देखते हुए झारखंड पुलिस ने उस पर 15 लाख और एनआईए ने चार लाख का इनाम घोषित कर रखा था.