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औरंगाबाद: बार्डर सील होने के बाद भी जारी है मजदूरों का पलायन - मजदूर पलायन

घर लौट रहे आक्रोशित प्रवासी मजदूरों ने कहा कि जब बॉर्डर पर चेकिंग हो गई तो फिर बारुण थाना पुलिस चेक के बहाने क्यों मजदूरों को घंटों बैठा रही है. प्रवासी मजदूरों में अधिकांशत: झारखंड और सूबे के विभिन्न जिलों से हैं. मजदूरों ने बताया कि पिछले 4 दिनों से सफर में ही हैं और आगे भी उनका सफर जारी ही रहने वाला है.

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Published : Mar 31, 2020, 1:40 PM IST

औरंगाबाद: दिल्ली से भारी संख्या में पलायन को देखते हुए राज्य सरकार ने बार्डर सील कर क्वारंटाइन सेंटर बनाने का आदेश जारी कर दिया है. इसके बावजूद लॉकडाउन के आठवें दिन भी मजदूरों का पलायन जारी रहा. मंगलवार को जिले से गुजरने वाली जीटी रोड पर दिल्ली से अपने गंतव्य की ओर जा रहे मजदूरों की कोरोना संबंधी चेकिंग के लिए रोक दिया गया. वहीं, स्थानीय प्रशासन के घंटों वाहन रोकने पर प्रवासी मजदूर काफी परेशान दिखाई दिए.

सनोज कुमार यादव, प्रवासी मजदूर

जांच के बाद जिलाधिकारी ने छोड़ा
घर लौट रहे आक्रोशित प्रवासी मजदूरों ने कहा कि जब बॉर्डर पर चेकिंग हो गई तो फिर बारुण थाना पुलिस चेक के बहाने क्यों मजदूरों को घंटों बैठा रही है. प्रवासी मजदूरों में अधिकांशत: झारखंड और सूबे के विभिन्न जिलों से हैं. मजदूरों ने बताया कि पिछले 4 दिनों से सफर में ही हैं और आगे भी उनका सफर जारी ही रहने वाला है. वहीं, जिलाधिकारी ने मेडीकल जांच संबंधी समस्या पर आश्वस्त होने के बाद मजदूरों के वाहनों को छोड़ दिया गया. दिल्ली से लौट रहे मजदूरों ने मौके पर बताया कि उनकी जांच बिहार बॉर्डर में घुसते समय कैमूर के खुरमाबाद में हो गई थी. फिर भी जाने क्यूं औरंगाबाद जिले के बारुण थाना की पुलिस उन्हें रोककर जांच के नाम पर बेवजह परेशान कर रही है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'सरकार बिना वजह कर रही है परेशान'
मजदूरों ने आगे बताया कि वो तीन-चार दिनों से सफर में हैं. हालांकि, जिला प्रशासन ने सभी मजदूरों को बिस्किट-पानी की व्यवस्था कराई. उसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया. मजदूरों का कहना है कि वे गांव में ही सुरक्षित रहेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार मजदूरों को खामखा परेशान कर रही है. जबकि दिल्ली में बाहर से आ रहे विदेशियों की वजह से कोरोना फैल रहा है. कहना गलत नहीं होगा कि अचानक हुए लॉकडाउन ने मजदूरों की परेशानी बढ़ा दी है. वहीं, दिल्ली में फैली अफवाह और असुरक्षा की भावना भी मजदूरों को वापस अपने गृह जिला लौटने पर मजबूर कर रहा है.

प्राइवेट वाहन

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