औरंगाबाद: जिले के नबीनगर स्थित एनटीपीसी के उपक्रम एनपीजीसी के कुछ मजदूर पिछले महीने अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे. सभी मजदूरों को प्रबंधन ने काम से बाहर कर दिया है. मजदूरों की जीविका पर संकट मंडराने लगा है. परिवार को चलाना मुश्किल हो रहा है. इस बाबत अभी तक किसी ने इन मजदूरों की मांगों पर चर्चा करना मुनासिब नहीं समझा है. वहीं, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने आमरण अनशन की बात कही है.
विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे मजदूरों को निकाल दिए जाने के बाद प्रबंधन के खिलाफ मजदूरों में गुस्सा पनप रहा है. इस बाबत, इंटक (इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस) नेता आमरण अनशन की चेतावनी दे रहे हैं. बता दें कि 8 सूत्री मांगों को लेकर एक महीने पहले धरने पर बैठे थे. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे इंटक नेता भोला यादव ने चेतावनी दी कि अगर बर्खास्त मजदूरों को फिर से काम पर नहीं रखा गया, तो वो आमरण अनशन करेंगे.
आमरण अनशन पर बात करता मजदूर यूनियन सरकारी नियम लागू करने की मांग
- एनपीजीसी में अकुशल मजदूर को 260 से 280 रुपये मजदूरी दी जाती है, जबकि भारत सरकार की तय न्यूनतम मजदूरी 403 रुपये है.
- अर्द्धकुशल मजदूर को कंपनी 300 रुपये ही दिहाड़ी दे रही है, जबकि अर्द्धकुशल मजदूर को 8 घंटे की वर्तमान दिहाड़ी 472 रुपये केंद्र सरकार ने तय की है.
- इसी तरह यहां कुशल मजदूर को वर्तमान में 350 रुपये दिए जा रहे हैं है, जबकि वर्तमान मजदूरी नियम के अनुसार 569 रुपये भुगतान करना होगा. इसी को लेकर मजदूर धरने पर बैठे थे.
- इसके अलावा निर्माण ठेका श्रमिक जो सिविल में 240 दिन कार्य करने के बाद श्रम कानून अधिनियम के तहत लाभ पाने का दावेदार हो जाता है. लेकिन उसका लाभ उन्हें नहीं दिया जाता है.
ईटीवी भारत के लिए राजेश रंजन की रिपोर्ट
इंटक ने छुट्टी, बोनस, बेनिफिट लाभ, मेडिकल लाभ, पीएफ लाभ, नोटिस पे लाभ और अन्य लाभों के लिए धरना दिया था. लेकिन मजदूरों को सहूलियत तो नहीं मिली. इसके उलट धरने पर बैठे मजदूरों को निकाल दिया गया. एक तरफ तो भारत के प्रधानमंत्री श्रम कानूनों में लगातार बदलाव ला रहे हैं और श्रमिकों के लिए नित नई योजनाएं ला रहे हैं. दूसरी तरफ एनटीपीसी में श्रम कानूनों के उल्लंघन होने का आरोप लग रहे हैं, जिसकी जांच जरूरी है.