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औरंगाबाद: श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ हड़ताल, इंटक नेताओं ने दी आंदोलन की चेतावनी

श्रम कानून में बदलाव के खिलाफ औरंगाबाद नवीनगर एनपीजीसी प्लांट के सामने इंटक द्वारा सांकेतिक भूख हड़ताल किया गया. इंटक नेता भोला यादव ने कहा कि किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा और इसके लिए देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा.

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Published : May 23, 2020, 12:02 AM IST

Updated : May 23, 2020, 10:10 PM IST

मजदूरों
मजदूरों

औरंगाबाद: देशव्यापी श्रम कानूनों को शिथिल करने को हो रहे प्रयास के खिलाफ नवीनगर एनपीजीसी प्लांट के सामने इंटक द्वारा सांकेतिक भूख हड़ताल की गई. सांकेतिक भूख हड़ताल में नेताओं ने साफ कर दिया कि श्रम कानूनों में बदलाव किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा और इसके लिए देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा.

सांकेतिक भूख हड़ताल

सांकेतिक उपवास
नवीनगर पावर जेनरेटिंग कंपनी एनपीजीसी के मजदूरों ने केंद्र सरकार द्वारा लेबर कानूनों में ढील दिए जाने के खिलाफ सांकेतिक उपवास किया गया. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इन मजदूरों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर फैसले के विरोध में नारे लिखे गए थे. सांकेतिक उपवास का नेतृत्व इंटक नेता भोला यादव और वरुण कुमार सिंह कर रहे थे.

कर्मचारियों का बढ़ेगा शोषण
इंटक प्रदेश महामंत्री और जिला सचिव भोला यादव ने बताया कि उद्योगों की जांच और निरीक्षण से मुक्ति देने से कर्मचारियों का शोषण बढ़ेगा. कर्मचारियों को बगैर अतिरिक्त भुगतान के ओवर टाइम काम कराने से लेकर अचानक निकाल देने का अधिकार कंपनियों को देना सरासर गलत है. भोला यादव ने बताया कि अगर श्रम कानूनों में संशोधन लागू होता है तो संगठन के मजदूर चक्का जाम करेंगे.

देखें वीडियो

कानून में ढील देना न्याय संगत नहीं
इंटक जिलाध्यक्ष वरुण कुमार सिंह ने बताया कि मजदूरों की इस समय कोई सुनने वाला नहीं है. मजदूरों के शोषण के तमाम हथकंडे अपना रहे हैं, लेकिन इंटक ऐसा होने नहीं देगा. उन्होंने बताया कि मजदूरों की ग्रेच्युटी जमा ना करना पड़े. इसलिए ठेके पर मजदूरों को लिया जा रहा है. इसके बाद भी श्रम कानूनों में ढील देना न्याय संगत नहीं है. इंटक इसका घोर विरोध करेगा.

क्या है श्रम कानून?
कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत कारखाना अधिनियम 1958 की धारा 6,7,8 धारा 21 से 41H 59, 67, 68, 79, 88 और धारा 112 को छोड़कर सभी धाराओं से नए उद्योगों को छूट रहेगी. इससे अब उद्योगों को विभागीय निरीक्षणों से मुक्ति मिलेगी. उद्योग अपनी मर्जी से थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करा सकेंगे. फैक्ट्री को इंस्पेक्टर की जांच और निरीक्षण से मुक्ति दे दी गई है. उद्योग अपनी सुविधा में शिफ्टों में परिवर्तन कर सकेंगे. संस्थान अपनी सुविधानुसार श्रमिकों को सेवा में रख सकेगा. उद्योगों द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में श्रम विभाग एवं श्रम न्यायालय का हस्तक्षेप बंद हो जाएगा.

Last Updated : May 23, 2020, 10:10 PM IST

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