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औरंगाबाद में मिला मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज, सैंपल भेजा गया पटना

दिल्ली से बिहार के औरंगाबाद आए एक युवक के शरीर पर मंकीपॉक्स के लक्षण (Monkeypox In Aurangabad) मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग ने एहतियातन संदिग्ध मरीज को घर में आइसोलेट कर दिया है. साथ ही जांच के लिए सैंपल को पटना भेजा गया है. डॉक्टरों की एक टीम मरीज पर नजर बनाए हुए हैं.

औरंगाबाद में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला
औरंगाबाद में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला

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Published : Aug 7, 2022, 8:03 PM IST

औरंगाबाद:बिहार में मंकी पॉक्स ने दस्तक दी है. औरंगाबाद में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिला (Found Suspected Monkeypox Patient) है. इस खबर के फैलते ही स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया और एक मेडिकल टीम को जांच के लिए संदिग्ध मरीज के घर भेजा गया. संदिग्ध युवक के शरीर पर बड़े-बड़े फफोले (बड़े चेचक की तरह) मिले हैं. वह कुछ दिन पहले ही दिल्ली से अपने घर लौटा था. ऐसे में मेडिकल टीम ने सैंपल लेकर उसे घर में आईसोलेट कर दिया है. साथ ही जांच के लिए नमूना पटना भेजा गया है.

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शरीर पर मिले बड़े-बड़े फफोले: जानकारी के अनुसार जिले के कुटुंबा थाना क्षेत्र के कुटुम्बा में दिल्ली से आये एक युवक को मंकीपॉक्स के लक्षण मिलें है. युवक के शरीर पर बड़े-बड़े फफोले मिले हैं. सदर अस्पताल औरंगाबाद के सिविल सर्जन डॉ कुमार वीरेंद्र प्रसाद और एसीएमओ डॉ. किशोर कुमार ने बताया कि मंकीपॉक्स के लक्षण मिलते ही चिकित्सकों की टीम संदिग्ध मरीज के घर भेजी गयी थी. मरीज को घर में आइसोलेट कर दिया गया है. रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगी की युवक मंकीपॉक्स से ग्रसित है या नहीं.

घरवालों को दूर रहने का निर्देश:डॉक्टरों की एक टीम पीड़ित युवक पर नजर बनाए हुए हैं. युवक के परिजनों को उसे दूर रहने का निर्देश दिया गया है. चिकित्सकों ने आश्वासन दिया कि मरीज की हालत स्थिर है और वह जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाएगा. वहीं मरीज के परिजनों ने बिहार के चिकित्सा व्यवस्था को लेकर काफी आक्रोश है. उनका कहना है कि जब मरीज को इलाज के लिए पटना लाया गया तो ना तो पीएमसीएच में जगह मिली और ना ही IGIMS में भर्ती लिया गया. जिससे उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा.

क्या है मंकीपॉक्स :मंकीपॉक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल (What Is Monkeypox) संक्रमण है. 1958 में यह पहली बार शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था. इस वायरस का पहला मामला 1970 में रिपोर्ट किया गया है. मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में यह रोग में होता है. यह कोरोना वारयस की तरह ही काफी संक्रमित होता है.

"मरीज के इलाज के लिए सारी व्यवस्था कर दी गई है. वह मरीज भी मंकीपॉक्स का सस्पेक्टेड है, उम्मीद है कि रिपोर्ट में ऐसा सामने ना आए. एहतियातन मरीज को आइसोलेट कर दिया गया है. जांच के लिए सैंपल पटना भेजा गया है. इसमें पांच तरह की जांच होती है"-डॉ. कुमार वीरेंद्र प्रसाद, सिविल सर्जन, औरंगाबाद

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