औरंगाबाद: बिहार के औरंगाबाद को मिनी चित्तौड़गढ़ को कहा जाता है. इस क्षेत्र में राजपूतों का दबदबा रहा है. इस सीट से बीजेपी से सुशील सिंह और महागठबंधन से उपेंद्र प्रसाद वर्मा के बीच मुकाबला है. बिहार में लोकसभा मतदान इस सीट के साथ तीन सीटों से आगाजा हो रहा है. दोनों प्रत्याशियों के बिच दिलचस्प मुकाबला माना जा रहा है.
मिनी चित्तौड़गढ़ के रूप में औरंगाबाद चर्चित
राजपूतों की बहुलता के कारण मिनी चित्तौड़गढ़ कहा जाने वाला औरंगाबाद की सीट पर 1952 के पहले चुनाव से अब तक सिर्फ राजपूत उम्मीदवार ही विजयी हुये हैं. यहां के लोकसभा चुनावों में सत्येंद्र नारायण सिंह और लूटन बाबू का परिवार ही आमने-सामने रहा है. इस सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 13 लाख 76 हजार 323 है, जिनमें से पुरुष मतदाता 7 लाख 38 हजार 617 हैं. जबकि महिला मतदाता 6 लाख 37 हजार 706 हैं. वहीं अगर जातीय समीकरण की बात करें तो औरंगाबाद में राजपूतों की संख्या सबसे ज्यादा है. दूसरे स्थान पर यादव वोटर हैं जिनकी संख्या 10% है. मुस्लिम वोटर 8.5 प्रतिशत, कुशवाहा 8.5 प्रतिशत और भूमिहार वोटरों की संख्या 6.8% है. एससी और महादलित वोटरों की संख्या इस लोकसभा क्षेत्र में 19% है. जो प्रत्याशी इस 19 फीसदी वोटरों को अपने पाले में लाने में सफल होता है, उसी के सिर पर यहां का ताज़ होता है.
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या
- कुल मतदाता-13 लाख 76 हजार 323
- पुरुष मतदाता- 7 लाख 38 हजार 617
- महिला मतदाता- 6 लाख 37 हजार 706
- राजपूत वोटरों की है बहुलता
- दूसरे स्थान पर यादव वोटर
- मुस्लिम- 8.5%, कुशवाहा- 8.5%,
- भूमिहार- 6.8%, एससी और महादलित-19%
विधानसभा सीटों का समीकरण
औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं
- कुटुम्बा
- औरंगाबाद
- रफीगंज
- गुरुआ
- इमामगंज
- टिकारी
इनमें से दो सीटें कुटुम्बा और इमामगंज रिजर्व हैं. तीन सीटें- औरंगाबाद, कुटुंबा और रफीगंज औरंगाबाद जिले में हैं जबकि गया जिले में इमामगंज, गुरुआ और कोच विधानसभा सीटें आती हैं. 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में इन 6 सीटों में से दो कांग्रेस, दो जेडीयू, 1 बीजेपी और एक सीट हम के खाते में गई थी.