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डीहरा, तेजपुरा और सिपहां के पटना कैनाल लॉक पर फिर से शुरू हुआ पनबिजली परियोजना का निर्माण कार्य - औरंगाबाद

जिले के दाउदनगर प्रखंड के सिपहां स्थित पटना कैनाल लॉक पर पनबिजली परियोजना का निर्माण कार्य सात वर्षों के बाद फिर से शुरू हो गया है.

Aurangabad
औरंगाबाद

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Published : Nov 18, 2020, 6:53 AM IST

औरंगाबाद: जिले के दाउदनगर प्रखंड के सिपहां स्थित पटना कैनाल लॉक पर पनबिजली परियोजना का निर्माण कार्य सात वर्षों के बाद फिर से शुरू हो गया है. बिहार हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कारपोरेशन द्वारा 500 गुणा 2 केवी के बिजली उत्पादन के लिए यह पनबिजली परियोजना 2002 से ही स्वीकृत है.

बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने सोन नदी के इंद्रपुरी बराज से निकाले गए मुख्य नहरें, जिसमें अंग्रेजी हुकूमत के दौरान परिवहन और माल ढुलाई का कार्य होता था के लॉक पर पनबिजली परियोजना की शुरुआत करने की घोषणा की थी. तब काम शुरू तो हुआ लेकिन पूरा नहीं हो सका था. उसके बाद सरकार बदली और 2005 में नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री बने. तब से लेकर अब तक लगातार स्थानीय लोग इस उम्मीद में बैठे हैं कि पनबिजली परियोजना का काम कब पूरा होगा और उन्हें 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होगी.

18 वर्षों से है इंतजार
इस परियोजना का पूरा होने का इंतजार 18 वर्षों से इस क्षेत्र की जनता कर रही है. करीब 18 वर्ष पहले इस परियोजना का शिलान्यास हुआ. नौ वर्ष पहले काम शुरू हुआ था और 2 वर्ष बाद काम अधूरा ही बंद कर दिया गया.

कई सालों से बंद है निर्माण कार्य

कराया जा रहा सफाई का कार्य
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जिले के डीहरा, तेजपुरा और सिपहां लॉक पर करीब सात वर्षों से बंद पड़ी इस परियोजना में कुछ कार्य हुआ था. बंद पड़ी इस परियोजना में अब नये सिरे से एक सप्ताह पहले काम शुरू किया गया है. अब कार्य एजेंसी भी बदल गयी है. सीआइपीएल और एरगोटेल एजेंसी अब काम कर रही है. जिसके तत्वाधान में काम कराया जा रहा है. साफ सफाई के बाद डीजल पंप सेट लगाकर पानी की निकासी करायी जा रही है. साइड इंजीनियर मनीष कुमार ने बताया कि नये सिरे से काम शुरू होने के बाद पहले चरण में सफाई कार्य कराया जा रहा है. इसके बाद आगे का कार्य कराया जायेगा.

12 जनवरी 2002 को हुआ था शिलान्यास
कार्यस्थल पर लगे शिलापट्ट के अनुसार, इस परियोजना का शिलान्यास 12 जनवरी 2002 को तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के कार्यकाल में ऊर्जा मंत्री शकील अहमद खान ने किया था. 13.2 करोड रुपये की राशि से इस परियोजना का निर्माण होना था. जिसमें 12.7 करोड़ रुपये नाबार्ड से बतौर ऋण प्राप्त थे. जबकि राज्य निधि से 94.40 लाख रुपये खर्च होने थे. काम रुक जाने के बाद पुनः नीतीश सरकार में जनवरी 2011 में पनबिजली परियोजना के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था और जनवरी 2013 तक कार्य को पूरा करने का लक्ष्य था. तीन कंपनियां संयुक्त रूप से इसके निर्माण कार्य में लगी हुई थी और सभी के अलग-अलग कार्य थे. इलेक्ट्रिकल ,टेक्निकल और सिविल कार्य में इसे विभाजित किया गया था. 2013 में इस परियोजना का निर्माण कार्य पूरा हो जाना चाहिये था. वहीं वर्ष 2012-13 में इस पनबिजली परियोजना का कार्य अचानक बंद हो गया और तब से कार्य अधर में लटका हुआ था.

बिजली परियोजनाओं का है काफी महत्व
जिले की दाउदनगर अनुमंडल स्थित दो और पनबिजली परियोजना का निर्माण कार्य भी अधूरा पड़ा हुआ है. जिसमें ओबरा प्रखंड का डिहरा और तेजपुरा पनबिजली परियोजना शामिल है. बता दें कि तेजपुरा में करीब 80 फीसदी, सिपहां में 51फीसदी और डीहरा में 50 फीसदी काम होने के बाद ठप पड़ा हुआ है. पर्यावरण के दृष्टिकोण से इन बिजली परियोजनाओं का काफी महत्व है. सिपहां पनबिजली परियोजना से जिले के दाउदनगर प्रखंड और डिहरा, तेजपुरा पनबिजली परियोजना पूरी होने से ओबरा और बारुण प्रखंड को बिजली सप्लाई के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है. सिपहां पनबिजली परियोजना का कार्य पूरा होने के बाद बिजली सीधे तरारी पावर सब स्टेशन को आपूर्ति की जायेगी. इससे क्षेत्र के गांव रोशन होंगे. परियोजना पूरा होने के बाद विद्युत आपूर्ति से दाउदनगर और आसपास के क्षेत्र को 24 घंटे बिजली मिल सकेगी.

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