पटना: 9 सितंबर 2002 की वो रात कौन भूल सकता है, जब रात 10.42 बजे हाबड़ा राजधानी एक्सप्रेस ( Howrah Rajdhani Express ) औरंगाबाद ( Aurangabad ) के रफीगंज ( Rafiganj ) के निकट धावे नदी में जा गिरी थी. हादसे के 19 साल हो गए, लेकिन दर्द आज भी ताजा है.
यही कारण है कि हर साल रेलवे के अधिकारी और कर्मी कैंडल जला मृत यात्रियों को श्रद्धांजलि देते हैं. साथ ही कामना करते हैं कि ऐसी दुर्घटना की पुनरावृत्ति न हो. बीती रात भी रेल कर्मियों के साथ स्थानीय ग्रामीणों ने रफीगंज दुर्घटना के मृतकों को श्रद्धांजलि दी और कामना किया कि इस तरह की हदसा भविष्य कभी भी, कहीं भी ना हो.
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गौरतलब है कि स्थानीय रेल अभियंता, प्रशासन एवं समाजसेवी की ओर से 2002 से हर साल नौ सितंबर की देर रात 10.42 बजे उसी जगह श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, जहां पर यह हादसा हुआ था. अब यह एक प्रथा सी बन गयी है.
इसके तहत पहले रेल पटरी की पूजा की जाती है, फिर नारियल फोड़ा जाता है और कैंडल जलाकर हादसे में मृत रेलया यात्रियों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा जाता है. इस बार भी ऐसा ही किया गया.