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लॉकडाउन में गुरबत की जिंदगी जीने को मजबूर किन्नर, दाने-दाने को हुए मोहताज

सरकार ने भले ही इन्हें तीसरे जेंडर का दर्जा दे दिया हो लेकिन आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े इस समुदाय के लोग आज भी खुद को समाज से अलग महसूस करते हैं. वहीं कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रदेश में लागू लॉकडाउन के कारण किन्नर गुरबत की जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं.

भोजपुर
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Published : Aug 17, 2020, 10:15 PM IST

भोजपुर: बिहार में लगातार बढ़ रहे लॉकडाउन ने हर तबके को प्रभावित किया है. इसी क्रम में समाज से उपेक्षित किन्नर समाज के सामने लॉकडाउन के कारण रोजी-रोटी का संकट आ गया है. कोरोना वायरस को लेकर सामाजिक दूरी के कारण शादी और बच्चे के जन्म जैसे अवसरों पर नाच-गाकर पैसा कमाने वाले किन्नर आज भुखमरी की कगार पर हैं. इन्हें सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है.

सरकार ने भले ही इन्हें तीसरे जेंडर का दर्जा दे दिया हो लेकिन आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े इस समुदाय के लोग आज भी खुद को समाज से अलग महसूस करते हैं. वहीं कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रदेश में लागू लॉकडाउन के कारण किन्नर गुरबत की जिंदगी बसर करने को मजबूर हैं. इस दौरान कोई सरकारी मदद नहीं मिलने पर अररिया के किन्नर हताश और अहसाय महसूस कर रहे हैं.

भोजपुर की स्थानीय किन्नर

राशन कार्ड के अभाव में सरकारी लाभ से वंचित
आरा शहर की मालकिन किन्नर तारा रानी ने बताया कि उनके साथ करीब 20 किन्नर रहती थीं. वहीं लॉकडाउन के कारण कई किन्नर यहां से पलायन कर गई हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से हमारी किन्नरें जो ट्रेनों, बसों, शादी- विवाह, छटिहार में गीत गाकर पैसे कमाती थीं. ये सभी काम बंद हैं. इस कारण भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. साथ ही राशन कार्ड उपलब्ध नहीं होने के कारण हम लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल पाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ट्रेन परिचालन की बहाली की मांग
किन्नर तारा रानी ने आगे कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि चुनाव के समय वोट लेने के लिए आते हैं. लेकिन आज तक कोई भी स्थानीय जनप्रतिनिधि हमारा दुख दर्द बांटने नहीं आया है. वहीं एक अन्य किन्नर रेशमा ने सरकार से ट्रेन और बस चलाने की अपील करते हुए कहा कि इसी से हमारा पेट भरता है, सरकार जल्द से जल्द ट्रेन परिचालन की बहाली करे.

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