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गोबर को बनाया व्यवसाय, ऑर्गेनिक मटेरियल बनाकर कर रहे जीविकोपार्जन

जिले का स्वामी सत्यानंद सरस्वती का योग आश्रम में सिर्फ कर्म-कांडों और वेद पुराणों की शिक्षा नहीं दी जाती है. बल्कि समाज की बेहतरी के रोजगार के नए विकल्प तलाश कर समाज को नई दिशा भी देता है.

स्वामी सत्यन्दन सरस्वती आश्रम
भोजपुर जिले में योग आश्रम

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Published : Jan 11, 2021, 9:09 AM IST

Updated : Jan 11, 2021, 10:22 AM IST

भोजपुर: आरा का स्वामी सत्यानंद सरस्वती योग आश्रम इन दिनों चर्चा में है. इस आश्रम में सिर्फ योग और आध्यात्म से आत्मशुद्धि ही नहीं की जाति बल्कि पर्यावरण शुद्धि पर भी जोर दिया जाता है. दरअसल यहां वेस्ट मटेरियल को बेस्ट बनाया जाता है, ताकि पर्यावरण भी शुद्ध हो और लोगों को रोजगार भी मिले. यही वजह है कि आश्रम में गोबर की लकड़ी बनाने के साथ ही, ऑर्गेनिक पेस्टीसाइड्स भी बनाने का काम किया जाता है.

आश्रम जैसी व्यवस्थाओं को लेकर धारणा है कि यहां सिर्फ धार्मिक, वेद-पुराण और कर्मकांडों का पाठ पढ़ाते होंगे. लेकिन भोजपुर जिले के कोहिसन गांव का यह आश्रम गुमनामी के अंधेरे में भी कई ऐसे काम कर रहा है. जहां न सिर्फ कर्मकांड और योग पढ़ाए जाते हैं, बल्कि यहां कई वैज्ञानिक काम भी किए जा रहे हैं. जिससे आस-पास के किसानों का भला हो रहा है.

देखें रिपोर्ट

आज ऑर्गेनिक खेती का प्रचलन देशभर में बढ़ रहा है. इसके लिए सबसे अधिक जरूरी है ऑर्गेनिक खाद का मिलना. जो आसानी से किसानों को उपलब्ध नहीं होता है. लेकिन आश्रम के आस-पास के जिले के किसानों को यह आसानी से उपलब्ध करवा रहा है. जो न सिर्फ बंजर होते जमीन को उपजाउ बनाए रखेगी बल्कि जिले में ऑर्गेनिक खेती को भी बढ़ावा देगी. साथ ही खान-पान में ऑर्गेनिक खाद्यपदार्थों के सेवन से तामाम तरह की कई बीमारियों से लोग दूर रहेंगे.

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आश्रम को चालने के लिए चाहिए था पैसा तो निकला यह तरीका
चाहें आप आध्यात्म से जुड़ें हो या गृहस्थ से दैनिक जीवन चलाने के लिए रुपयों की जरूरत तो सभी को पड़ती है. आश्रम को भी संचालित करने के लिए रुपयों की जरूरत आ पड़ी. आश्रम के खर्चों को उठाने के लिए और यहां पढ़ रहे शिष्यों को रोजगार देने के लिए महाराज स्वामी प्रज्ञानंद सरस्वती ने इसका बीड़ा उठाया.

महाराज स्वामी प्रज्ञानंद सरस्वती

स्वामी जी ने बताया कि आश्रम और शिष्यों के खर्च के लिए कोई रोजगार चाहिए था. जिसके बाद हमने बहुत सोच-विचार कर वातावरण और दूसरों के भले के साथ अपना भला करने के लिए गोबर से जुड़े व्यवसाय को चुना. क्योंकि गोबर ही एक ऐसी चीज है जो वातावरण को भी शुद्ध कर सकता है. और इससे रोजगार भी पैदा हो सकता है. इसलिए हमने कई उपकरण बनवाये जिससे गोबर की कई सामग्रियां बनाई जा सके. अब आश्रम में गोबर से ठोस और द्रव्य दोनों खाद बनाये जाते हैं. गोबर की लकड़ी बनाई जाती है. इसके अलावे गोबर से पौधों के लिए गमला का निर्माण किया जाता है.

गोबर की लकड़ी

आश्रम के साथ-साथ संतों ने ग्रामीणों को भी उपलब्ध कराया रोजगार का नया बाजार
आश्रम के दूसरे संत दिनेश तिवारी बताते हैं कि,' गोबर की इतनी सामग्रियां बनाने के लिए बड़े पैमाने पर गोबर की आवश्यकता पड़ने लगी. इसके लिए हमने कोसिहन गांव और आसपास के गांव के जितने भी गौ-पालक हैं. उनसे संपर्क कर 50 पैसे से ले कर 1 रुपया प्रति किलो गोबर की खरीदारी करने लगे. जिससे हमारे साथ-साथ ग्रामीणों का फायदा भी होने लगा.

ऑर्गेनिक पेस्टीसाईड

वहीं, आश्रम के इस प्रयोग की खबर जैसी ही भोजपुर के कृषि विज्ञान केन्द्र को लगी डॉक्टर पीके द्विवेदी आश्रम का निरीक्षण करने पहुंच गए. आश्रम की इस पहल को देखकर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि, इस तरह का निर्माण जिले के आसपास किसी क्षेत्र में नहीं हो रहा है. ऐसी सरहानीय पहल को कृषि विज्ञान केंद्र से बढ़ावा दिया जायगा. हर सम्भव कोशिश की जाएगी. ताकि ये सब सामग्री का निर्माण बड़े पैमाने पर हो सके. जिससे भोजपुर का नाम पूरे देश में फैले.

Last Updated : Jan 11, 2021, 10:22 AM IST

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