भोजपुर:सरकार (Government) अस्पतालों को हाईटेक बनाने के लाख दावे करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. ग्रामीण इलाके में बने स्वास्थ्य केंद्रों की हालत और भी खराब है. कहीं डॉक्टर (Doctor) है, तो भवन नहीं है और कहीं भवन है, तो डॉक्टर नहीं. ऐसा ही एक मामला भोजपुर (Bhojpur) जिले के कोइलवर प्रखंड (Koilwar Block) के बिंदगांवा का है. जहां करोड़ों की लागत से बना स्वास्थ केंद्र मवेशियों के लिए तबेला बनकर रह गया है.
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प्रखंड क्षेत्र के दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में तो स्वास्थ्य केंद्रों की हालत और भी खराब है. दवाइयां और अन्य सुविधाओं का अभाव ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबक बना हुआ है. प्रखंड के श्रीपालपुर में सालों से कागजों पर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहा है. कभी कभार डॉक्टर अपना चेहरा दिखाने स्वास्थ्य केंद्र आ जाते हैं. वही प्रखंड के बिंदगांवा में बना दूसरा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भी अब तक शुरू नहीं हुआ है.
17 अगस्त 2019 को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भोजपुर जिले के कोइलवर प्रखण्ड के बिंदगावा में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए शिलान्यास किया था. जिस पर लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से दो साल में नये एडिशनल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन तैयार कर लिया गया. पिछले सितंबर महीने के अंतिम सप्ताह में दो डॉक्टर समेत 12 स्वास्थ्य कर्मियों की प्रतिनियुक्ति भी कर दी गई, लेकिन नये एडिशनल अस्पताल में डॉक्टर तो नहीं पहुंचे, फिलहाल यहां मवेशियों ने अपना बसेरा बना लिया है.