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सोन नदी में हो रहे अवैध खनन से जलस्तर में भारी गिरावट, क्या ऐसे संरक्षित होगा पर्यावरण

पर्यावरण दिवस पर घर के आसपास पौधे लगाना पर्यावरण के संरक्षण का अच्छा साधन है. इससे ऑक्सीजन तो मिलेगा ही साथ ही ताजी हवा और छाया भी मिलेगी. इसके अलावा अगर पर्यावरण को संरक्षित करना है तो हमें पॉलीथिन के इस्तेमाल को रोकना होगा.

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Published : Jun 5, 2020, 7:26 PM IST

भोजपुर: विश्व पर्यावरण दिवस पर भारत समेत पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई तरह की मुहिम चल रही है. एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, तो वहीं बिहार सरकार भी जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. लेकिन कहीं भी इसका कोई मोल नहीं है चाहे वो पेड़ों की कटाई हो या अवैध खनन. सब आसानी से जारी है.

भोजपुर की बात करें तो सड़क के चौड़ीकरण के लिए पेड़ की कटाई की जा रही है और तो और सोन नदी में अवैध रूप से बालू उत्खनन का सिलसिला महीनों से जारी है. जिला प्रशासन इसे रोकने में अबतक नाकाम साबित रहा है.

सोन नदी में हो रहा अवैध खनन

NGT के नियमों की अनदेखी
सोन नदी में अवैध उत्खनन के रोक के लिए एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने 3 मीटर से ज्यादा बालू खनन पर रोक लगा दिया है. एनजीटी के अनुसार इस तरह उत्खनन से सोन नदी का जलस्तर खिसक रहा है जिससे आसपास के गांव के चापाकल सूख गए हैं.

अवैध खनन से जलीय जीव हो रहे खत्म
वहीं, सोन नदी में उत्खनन से जलीय जीव भी खत्म हो रहे हैं. जिसका दुष्परिणाम पर्यावरण पर पड़ रहा है. बावजूद इसके लगातार सोन नदी का सीना चीरकर बालू माफिया बालू की निकासी कर रहे हैं. इसका दुष्परिणाम पर्यावरण पर पड़ रहा है. जिसे रोकने में जिला प्रशासन नाकाम है.

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