भोजपुर: बिहार की 40 लोकसभा सीटों में वीर कुंवर सिंह की कर्म भूमि आरा अहम स्थान रखती है. यह भोजपुर का जिला मुख्यालय है. आरा अपने राजनीतिक और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है.
राजनीतिक इतिहास
1971 की पांचवीं लोकसभा चुनाव तक आरा को शाहाबाद संसदीय क्षेत्र के नाम से जाना जाता था. नेहरू, इंदिरा, राजीव गांधी से लेकर अटल और मनमोहन के नेतृत्व में बनी सरकारों में यहां के नेताओं की भागीदारी रही है.
आरा में कितनी विधानसभा
इस संसदीय क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें अगियांव, संदेश, शाहपुर, बड़हरा, तरारी, आरा और जगदीशपुर हैं. इसमें अगियांव विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित है. आरा 1972 तक सासाराम में हुआ करता था. बाद में बक्सर में मिला दिया गया. 1991 से पहले आरा में बक्सर और आरा संसदीय क्षेत्र आते थे.
आरा में कितने मतदाता
आरा लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 24 हजार 515 है. इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 16 हजार 299, तो वहीं महिला मतदाता 8 लाख 8 हजार 210 हैं.
पिछले चुनाव के आंकड़े
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राजकुमार सिंह उर्फ आरके सिंह ने जीत दर्ज की. उन्होंने आरजेडी के भगवान सिंह कुशवाहा को हराया. आरके सिंह को 3 लाख 91 हजार 74 वोट मिले जबकि कुशवाहा को 2 लाख 55 हजार 204 वोट मिले. वोट प्रतिशत की बात की जाए तो आरके सिंह को कुल 43.78 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कुशवाहा को 28.57 प्रतिशत. तीसरे स्थान पर सीपीआईएमएल के राजू यादव रहे जिन्हें 98 हजार 805 (11.06 प्रतिशत) वोट मिले.
कौन बनेगा आरा का सांसद? देखें विशेष रिपोर्ट सांसद का रिपोर्ट कार्ड
संसद में आरके सिंह का रिपोर्ट कार्ड औसत रहा है. उन्होंने सदन की 23 बहसों में हिस्सा लिया और अपने कार्यकाल में 45 सवाल पूछे. हालांकि उनके खाते में एक भी प्राइवेट मेंबर बिल नहीं है. आरके सिंह की सदन में हाजिरी 97 फीसदी रही है. उन्होंने क्षेत्र में विकास के लिए सांसद निधि का 96.43 प्रतिशत खर्च किये.
राजपूत वोटर्स का वर्चस्व
आरा की राजनीति में राजपूत वोटर्स का वर्चस्व रहा है. हालांकि यादव, ब्राह्मण और मुस्लिम वोटों की संख्या यहां निर्णायक भूमिका निभा सकती है. आरके सिंह यहां से सांसद होने के साथ-साथ केंद्र में मंत्री भी हैं. इस बार उनका मुकाबला महागठबंधन के माले प्रत्याशी राजू यादव से है.
आरा में कड़ा मुकाबला
आरा की लड़ाई इस बार दिलचस्प होने वाली है. क्योंकि एक तरफ राजकुमार सिंह दूसरी बार सांसद बनने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, तो वहीं राजू यादव माले को यहां दोबारा जिंदा करना चाहते हैं.