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किसानों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ, खेती करना साबित हो रहा घाटे का सौदा - बारिश न होने के कारण खेती में परेशानी

सरकारी नलकूप बंद होने के कारण किसानों की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं. किसान सरकारी नलकूपों को अपने पैसे से दुरुस्त कराकर पटवन करने को मजबूर नजर आ रहे हैं.

धान की रोपाई
धान की रोपाई

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Published : Jul 30, 2020, 2:32 PM IST

भोजपुर: सरकार समय-समय पर किसानों के हित के लिए कई योजनाएं संचालित करती है, लेकिन जमीनी स्तर पर किसानों को उन योजनाओं का लाभ मिलता नहीं दिख रहा है. जिले में धान की रोपाई शुरू है. ऐसे में ज्यादा बारिश नहीं होने के कारण किसान निजी पंपसेट से पटवन कर धान की रोपाई करने को मजबूर नजर आ रहे हैं.

पहले ही कोरोना और लॉकडाउन के कारण धान की रोपाई में समस्या हो रही है. वहीं अब सरकारी नलकूप बंद होने के कारण किसानों की मुश्किलें दोगुनी हो गई हैं. कोइलवर प्रखंड में कुल 85 सरकारी नलकूप हैं. जिसमें से मात्र 25 नलकूप ही सही हैं. नलकूपों के नकारा साबित होने से क्षेत्र के किसान निजी पंप चालकों से ऊंची कीमत अदा कर पानी खरीदने को विवश हैं.

धान की रोपाई करते किसान

नलकूपों की शिकायत पर नहीं लिया गया संज्ञान
आलम यह है कि किसान सरकारी नलकूपों को अपने पैसे से दुरुस्त कराकर पटवन कर रहे हैं. किसी नलकूप पर मोटर में यांत्रिक गड़बड़ी की शिकायत है तो कहीं लो वोल्टेज होने के कारण मोटर खराब पड़ा है. जिससे किसानों की मुश्किलें और बढ़ जा रही है. किसानों का कहना है कि निजी पंपसेट से पटवन करना महंगा साबित हो रहा है. नलकूपों की शिकायत करने के बावजूद भी समाधान नहीं निकला.

साबित हो रहा घाटे का सौदा
किसानों की मानें तो खेती उनके लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है. रही-सही कसर डीजल की आसमान छूती कीमतों ने पूरी कर दी है. वहीं डीजल अनुबंध के संबंध में किसानों ने बताया कि इस योजना का लाभ उन्हें नहीं बल्कि खेत के मालिक को मिलता है. इस संबंध में लघु सिंचाई विभाग कोइलवर के जेई राजेश प्रसाद से बात करने की कोशिश की गई तो कार्यालय बंद पाया गया और वो नदारद दिखेय हालांकि फोन पर उन्होंने कहा कि नलकूप की सारी जिम्मेदारी मुखिया को दे दी गई है.

मुश्किल में किसान

पल्ला झाड़ते नजर आए मुखिया
वहीं जब इस संबंध में मुखिया से बात की गई उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें जिम्मेदारी भले ही दी हो लेकिन सरकार की ओर से बंद पड़े नलकूपों की मरम्मती के लिए पैसे नहीं भेजे गए हैं. ऐसे में उन्होंने किसानों को अपने से पैसा इकट्ठा कर कर मोटर बनवाकर पटवन करने की सलाह दी है.

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