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Lockdown का सुखद पहलू! प्रकृति हुई शांत और खुशनुमा, पशु-पक्षी, नदी-झरनों में लौटा पुराना स्वरूप - lockdown

सोन तटीय क्षेत्र में विचरण करनेवाले पशु पक्षी अब गांवों तक पहुंचने लगे हैं. वहीं दूसरी ओर कोइलवर स्थित महानंदा, सोन नदियों की अविरल धारा कलकल की ध्वनि के साथ स्वच्छ रूप से प्रवाहित हो रही है.

effects of lockdown on mother nature
effects of lockdown on mother nature

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Published : Apr 14, 2020, 9:36 PM IST

भोजपुर: कोरोना वायरस के कहर की वजह से जारी लॉक डाउन से भले ही लोगों की जिंदगियां घरों में कैद हो गई हों, मगर प्रकृति पर इसका बेहतर प्रभाव देखने को मिल रहा हैें. लॉक डाउन से एक तरफ जहां सारी दुनिया थम सी गई है वहीं प्रकृति मुखर होकर खुशनुमा हो रही है. पक्षियों का मधुर कलरव और चैत्र महीेने में पपीहे की आवाज भी साफ तौर पर सुनने को मिल रही है.

खुशनुमा मौसम में इंसान-पशु-पक्षी सभी खुश
खुशनुमा मौसम में आम इंसान हों या जंगलों में रहनेवाले पशु-पक्षी सभी खुश दिख रहे है. गंगा-सरयू-सोन के संगम स्थल पर दियारे में अक्सर अपनी मौजूदगी दर्शाने वाले नीलगाय, घोड़पड़ास, खरगोश और मोर अब नजदीक के गांवों में भी दिखने लगे हैं. सोन तटीय क्षेत्र में विचरण करनेवाले पशु पक्षी अब गांवों तक पहुंचने लगे हैं. वहीं दूसरी ओर कोइलवर स्थित महानंदा, सोन नदियों की अविरल धारा कलकल की ध्वनि के साथ स्वच्छ रूप से प्रवाहित हो रही है.

नदी-झरनों में लौटा पुराना स्वरूप

दूर के गांवों में भी सुनी जा रही है जानवरों की आहट
दिल्ली-हावड़ा रेल और सड़क मार्ग पर परिचालन बंद होने के बाद पसरे सन्नाटे से दियारे के जानवरों की आहट अब दूर के गांवों में भी सुनी जा रही है. रबी फसल के कटने के बाद इन जानवरों का बसेरा दियारे इलाके में नदी के किनारे ही होता है. हालांकि लॉकडाउन में वाहनों का शोर थम जाने और लोगों की भीड़ घटने से जाने से जानवरों और परिदों को नजदीकी इलाकों में भी बड़े कौतूहल भरे नजरों से देखा जा रहा है.

पशु पक्षी अब गांवों तक पहुंचने लगे हैं

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