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अश्वारोही सैन्य बल के शताब्दी वर्ष की तैयारी पूरी, सीएम नीतीश कुमार होंगे मुख्य अतिथि

दो दिवसीय एमएमपी के शताब्दी समारोह के दौरान कई आकर्षक चीजें लोगों को देखने को मिलेंगी. समारोह में एक से बढ़कर एक घुड़सवारी में हैरतअंगेज कारनामों को दिखाया जाएगा.

अश्वरोही सैन्य बल

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Published : Nov 20, 2019, 8:12 PM IST

भोजपुर: बिहार के इकलौते अश्वारोही सैन्य बल के स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो गए हैं. स्थापना के 100 साल पूरा होने पर शताब्दी समारोह मनाने की तैयारी जोरशोर से चल रही है. शताब्दी समारोह को यादगार बनाने के लिए लोहे के स्क्रैप से लगभग 8 लाख में लोहे से घोड़ा बनाया गया है जो आकर्षण का केंद्र रहेगा. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सीएम नीतीश कुमार और डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे रहेंगे.

बता दें कि अश्वारोही सैन्य बल की स्थापना सोनपुर में सन 1917 में हुई थी. अश्वारोही सैन्य बल के कमांडेंट सुशील कुमार ने बताया कि सैन्य बल से जुड़े इतिहास और तस्वीरों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी. वहीं तरह-तरह के प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा. एमएमपी गृहपाल श्याम बिहारी सिंह ने बताया कि वो 1991 और 1995 में अश्वारोही के लिए गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.

कमांडेंट सुशील कुमार

सीएम के एस्कॉर्ट से लेकर परेड में शामिल रहेंगे घोड़े
शताब्दी समारोह की तैयारियों में जुटे कोच योगेंद्र यादव ने बताया कि कई आकर्षक चीजें लोगों को देखने को मिलेंगी. समारोह में एक से बढ़कर एक घुड़सवार हैरतअंगेज कारनामों को दिखाएंगे. 14 घोड़े खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे. जबकि 13 घोड़े मुख्यमंत्री को स्कॉर्ट करेंगे और 12 घोड़े परेड में शामिल रहेंगे. योगेंद्र यादव ने बताया कि संपूर्ण बिहार में यहां से जरूरत पड़ने पर घोड़े भेजे जाते हैं. बता दें कि कोच योगेंद्र यादव 5 बार इंटरनेशनल प्रतियोगिता में खेलकर गोल्ड मेडल जीत चुके हैं. जिसमें साउथ अफ्रीका, पाकिस्तान और थाईलैंड शामिल है.

तैयारी में जुटे अश्वारोही सैन्य बल के जवान

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आरा अस्तबल में हैं 55 घोड़े
बता दें कि वर्तमान में आरा के अस्तबल में लगभग 55 घोड़े हैं. मुख्यालय के अस्तबल में उनकी समुचित देखभाल होती है. घोड़े का इलाज वेटनरी डॉक्टर करते हैं. गौरतलब है कि ब्रिटिश काल में अश्वारोही सैन्य बल के घोड़ों को 22 साल पूरा करने या फिर बीमार होने के बाद जीने का अधिकार नहीं था. उन्हें गोली मारकर मौत की सजा दी जाती थी. वेटनरी डॉक्टर घोड़ों को गोली मारते थे. इसके लिए उनके पास स्पेशल छोटी बंदूक होती थी. हालांकि 15 वर्ष पहले केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इसे पशु क्रूरता बताते हुए इस पर रोक लगा दिया.

प्रैक्टिस करते अश्वारोही सैन्य बल के जवान

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