भोजपुर : छठ महापर्व को बिहार के भोजपुर जिले के बेलाउर सूर्य मंदिर में लाखों की संख्या में छठ व्रती पहुंचते हैं. इसकी तैयारियां भी अब अंतिम चरण में है. प्रसिद्ध सूर्य मंदिर में इसको लेकर उत्साह भी जबरदस्त है. छठ व्रती हर साल यहां आकर छठ मनातीं हैं और मनोकामना सिक्का लेकर जाते हैं. मनोकामना सिक्के की भी अनोखी मान्यता है. यहां अर्घ्य देने देश विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं.
बेलाउर सूर्य मंदिर में छठ पूजा : ज़िला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर भोजपुर ज़िले के बेलाउर गांव में सूर्य मंदिर के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि इस तालाब में छठ करने का खास महत्व है. यहां दूर-दूर से लोग मन्नत मांगने आते हैं. जब छठ व्रतियों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो मनोकामना सिक्के को वापस कर दिया जाता है. मंदिर के प्रवक्ता के मुताबिक हर साल 70 फीसदी सिक्के वापस आते हैं. उनका कहना है कि उसी से हम लोगों को पता चलता है कि इनकी मनोकामना पूर्ण हो गई है.
व्रतियों की होती है मनोकामना पूर्ण : बेलाउर सूर्य मंदिर के इतिहास को लेकर मिंटू चौधरी ने बताया की मौनी बाबा नाम के संत ने 1949 में इस मंदिर की स्थापना की थी, तबसे यहां छठ पूजा का सिलसिला जारी है. सालों से यहां छठ व्रतियों की भीड़ उमड़ रही है. मंदिर ट्रस्ट की तरफ से यहां व्यवस्थाएं की जाती हैं. सुरक्षा को लेकर पुलिसकर्मियों की तैनाती रहती है. खरना के दिन से ही दूर-दराज़ से लोग पहुंचने लगते हैं. दिर परिसर में ही खाना बनाकर खाते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं.