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आरा: 7 दशकों बाद भी नहीं सुधरी तस्वीर, बाढ़ और कटाव के बीच गुजर रही जिंदगी

गांव और गली-गली तक विकास का दावा करने वाले सुशासन की सरकार में अभी भी कई पंचायत ऐसे हैं जो बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. उनके पास मूलभूत सुविधाएं तक नहीं हैं. चुनावी साल में ऐसे लोगों में काफी गुस्सा दिख रहा है.

बड़हरा
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Published : Oct 9, 2020, 1:09 PM IST

आरा: चुनावी साल में जनता सक्रिय होकर जनप्रतिनिधि और स्थानीय विधायकों से विकास का हिसाब मांग रही है. जिले का बड़हरा विधानसभा आजादी के 7 दशकों बाद भी विकास की बाट जोह रहा है. इलाके में कई गांव ऐसे हैं जहां के लोगों को अब तक बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं. वे हर साल बाढ़ और कचाव का दंश झेल कर गुजर-बसर कर रहे हैं.

बड़हरा विधानसभा क्षेत्र में तीन प्रखंड कोईलवर, आरा सदर और बड़हरा का पंचायत शामिल हैं. जहां के किसान बाढ़ और कटाव से काफी परेशान रहते हैं. हर साल किसानों की फसल कभी बाढ़ तो कभी कटाव और सुखाड़ से बर्बाद हो जाती है.

किसी तरह जीवन यापन कर रहे लोग
बड़हरा विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े पंचायत खवाशपुर में आम लोगों को 6 माह नाव के सहारे गंगा नदी पार करनी पड़ती है. जबकि अन्य 6 महीने तक पीपा पुल का सहारा रहता है. आरा छपरा का नया पुल बनने से दूरी तो काफी कम हो गई, बावजूद फोरलेन पथ पर बबुरा से कोईलवर तक पथ पर जाम रहना भी एक बड़ी समस्या है. इससे आम लोग त्रस्त रहते हैं. इस फोरलेन पथ का समुचित लाभ आम लोगों को नहीं मिल पाता है.

कटाव से लोगों को हो रही परेशानी.

लोगों ने बताई परेशानी
पीड़ित लोगों की मानें तो सरैयां बाजार पर हल्की बारिश में भी जलमग्न हो जाता है. इससे आए दिन छोटी-बड़ी घटनाएं होती रहती हैं. वहीं सरफेस वाटर सप्लाई केंद्र मौजमपुर, नूरपुर से अनियमित जलापूर्ति भी एक बड़ी समस्या है. इससे इलाके के लोगों को मजबूरन आर्सेनिक युक्त पानी पीना पड़ता है. किसान राकेश कुमार सिंह(सोहरा) ने बताया कि बाढ़, कटाव के कारण सात दशक बाद भी दियरा इलाके के किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई हैं.

बड़हरा विधानसभा का हाल:

  • कुल मतदाता की संख्या - 309482
  • पुरुष मतदाता - 170537
  • महिला मतदाता - 138936
  • अन्य - 9
  • कुल पंचायतो की संख्या - 37
  • कुल मतदान केंद्रों की संख्या - 441
  • सहायक मतदान केंद्रों की संख्या - 127

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