आरा: जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल बदहाल स्थिति में है. आईएसओ प्रमाणित इस अस्पताल में सुविधाओं का घोर अभाव है. कहने को तो यहां 38 डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन किसी तरह यहां पर काम चलाया जाता है.अस्पताल में मरीजों को समुचित इलाज का लाभ भी नहीं मिल पाता है.
विशेषज्ञ चिकित्सकों का घोर अभाव
जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बात तो दूर सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है. जिले के सबसे बड़े सरकारी सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी रहने के कारण मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. विशेष मामलों में डॉक्टरों के पास रेफर करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं होता है. ऐसे में गरीब मरीजों को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानियां भी झेलनी पड़ती है. भले ही सरकार की तरफ से स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की बात कही जाती हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. चिकित्सकों के कमी के कारण बेहतर स्वास्थ्य मिलना फिलहाल नामुमकिन लगता है.
हालांकि इस संदर्भ में सिविल सर्जन डॉ ललितेश्वर झा ने बताया कि मेरे यहां चिकित्सक का अभाव नहीं है।
गंदगी का घर बना सदर अस्पताल
आरा के सदर अस्पताल में अगर गंदगी ना दिखे तो यह बेईमानी सा लगता है. सदर अस्पताल में प्रवेश करते ही सबसे पहले गंदे पानीयों से सामना होता है. यह हाल अमूमन अस्पताल कैंपस में हमेशा रहता है. इस रास्ते से मरीज एवं उनके परिजन के अलावे सिविल सर्जन और अस्पताल अधीक्षक तो गुजरते है लेकिन साफ-सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.