भागलपुर: जिले के स्थानीय होटल में रामनंदन विकल ने रूपांतरित मैथिलीशरण गुप्त की रचित यशोधरा का विमोचन किया गया. इस मौके पर कला और साहित्य से जुड़े हुए कई गणमान्य लोग मौजूद रहे. रविंद्र निकल बताया कि जिस तरह से आज सभी लोक भाषा को पहचान मिल रही है. हमारा प्रयास है कि निकाह को भी वही पहचान मिले क्योंकि कोई बच्चा अगर पहली बार कुछ भी बोलता है. तो वह उसकी अपनी मातृभाषा ही होती है. तो अंगिका हमारी मातृभाषा है इसलिए इसको वैश्विक स्तर की पहचान दिलाना भी हमारी जिम्मेदारी है.
भागलपुर: अंगिका में रूपांतरित मैथिलीशरण गुप्त की यशोधरा का विमोचन
अंगिका में रूपांतरित मैथिलीशरण गुप्त की यशोधरा का विमोचन किया गया. अंगिका साहित्यकार रामनंदन विकल अंगिका को पहचान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं.
'अंगिका को वैश्विक स्तर की मिल सके पहचान'
बता दें कि रविंद्र निकल ने पहले भी कई रचना मंदार बोले छे अंगिका साहित्य के क्षेत्र में लिखी है. यशोधरा के बाद उनकी एक और रचना नेत्रदान भी जल्द ही प्रिंट होकर आने वाली है. अंगिका अंग प्रदेश में बोले जाने वाली भाषा है. जिसके लिए कई साहित्य से जुड़े हुए लोग लगातार प्रयास में है कि इस भाषा को वैश्विक स्तर की पहचान मिल सके.
इनकी रही मौजूदगी
इस मौके पर भागलपुर के जिला संघ के पदाधिकारी शंभू राय, कला संस्कृति से जुड़े हुए उलूपी झा, अंगिका भाषा के साहित्य से जुड़े हुए डॉ अमरेंद्र गौतम सुमन और कई गणमान्य लोग मौजूद रहे. इन सभी की मौजूदगी में यशोधरा का विमोचन किया गया. यशोधरा मैथिलीशरण गुप्त की ओर से रचित एक बेहद खूबसूरत रचना है. जिसे अंगिका भाषा में अनुवाद कर रामनंदन विकल ने अंगिका भाषा को साहित्य के क्षेत्र में एक पहचान देने की कोशिश की है.