भागलपुर: रेशमी शहर भागलपुर के हजारों पावर लूम बंद पड़े हुए हैं. इनसे निकलने वाली आवाज आज खामोश है, तो शहर भी शांत और थम सा गया है. बुनकर आर्थिक संकट में हैं. शहर के तकरीबन 50 हजार बुनकर पावर लूम चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे. आज सभी की स्थिति दयनीय हो चली है.
दो महीने के लंबे लॉकडाउन का असर भागलपुर के बुनकरों पर सबसे ज्यादा देखने को मिल रहा है. पावर लूम पर धूल जम आई है. देशव्यापी लॉकडाउन के बाद रेशम से जुड़ा कारोबार पूरी तरह ठप हो गया है. भागलपुर का रेशमी कपड़ा देश-दुनिया में अपनी उत्तम गुणवत्ता के लिए जाना जाता है. हर साल करोड़ों का कपड़ा भागलपुर से देश के कई हिस्सों और विदेशों में भेजा जाता है. लेकिन अब प्रोडक्शन बंद है, जिसकी वजह टेक्सटाइल इंड्रस्टी से ऑर्डर का न मिलना है.
भागलपुर से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट 30 साल बाद, प्रभावित हुआ रेशम कारोबार
भागलपुर में 1989 में हुए सांप्रदायिक दंगे के बाद धीरे-धीरे उद्योग में अपना अस्तित्व मजबूत कर रहे बुनकरों की स्थिति सुधरी थी. लेकिन कोरोना ने इन्हें उस दंगे से ज्यादा प्रभावित कर दिया है. सिल्क कारोबारी बताते हैं कि बीते दो महीने पहले उन्होंने कई टेक्सटाइल कंपनियों में तैयार कर रेशमी कपड़ा भेजा था. इसके साथ ही एक बड़ा भारी संख्या में कपड़ा तैयारा किया था. ऐसे में कंपनियों के पास पैसा फंसा हुआ है, तो वहीं तैयार माल बिक भी नहीं रहा है. इससे हमपर दोहरी मार पड़ी है.
खामोश है नाथनगर इलाका...
भागलपुर के नाथनगर में सबसे ज्यादा सिल्क का निर्माण होता है. यहां चलने वाले पावर लूम पूरी तरह बंद हैं. नाथनगर के चंपा नगर इलाके में बुनकरों की स्थिति दयनीय हो गई है. बुनकर कहते हैं कि जो जमा-पूंजी थी, उससे अभी तक खर्च चला लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि अपना धंधा फिर से शुरू करने में दिक्कत है. अभी तो खाने-पीने के लिए संघर्ष चल रहा है.
सरकार से नहीं मिली मदद- इबरार अंसारी
बुनकरों के हक के लिए लड़ाने वाले इबरार अंसारी परेशान बुनकरों की मदद कर रहे हैं. उन्हें किसी तरह राशन पानी की व्यवस्था करवा रहे हैं. वो कहते हैं कि सरकार हमेशा से बुनकरों की उपेक्षा करती रही है. अभी तक बुनकरों के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.
सरकार बनाए कोई योजना
भागलपुर के कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि भागलपुर में बड़ी संख्या में लोग रेशम व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. सरकार को इनके लिए योजना बनानी चाहिए. लॉकडाउन से ये बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि भागलपुर सिल्क सिटी के नाम से मशहूर है. सरकार को यहां के कारोबार की उन्नति के लिए कदम उठाने चाहिए. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सरकार बुनकरों को रोजगार दे.
युवा बुनकरों को भविष्य की चिंता
ईटीवी भारत ने भागलपुर के सिल्क के बारे में कई बार खबरें दिखाई हैं. यहां रेशम के कारोबार में युवा पीढ़ी भी शामिल हुई है. हालांकि, रोजगार में भविष्य तलाशने में काफी खतरा भी है. फिर भी परंपरागत पेशे के तौर पर कई युवाओं ने रेशम को चुना. दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों से मिलने वाले ऑर्डर बंद हैं.
कोकून उत्पादन पर जोर दे सरकार
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर बनाने की जो बात की है, उससे भागलपुरी रेशम पूरी तरह से अपने अस्तित्व में लौट जाएगा. अभी भागलपुर में ज्यादातर बुनकर स्टॉल तैयार कर रहे हैं, जिसमें दूसरे देशों के बने हुए धागों का इस्तेमाल किया जा रहा है. भागलपुरी रेशम का धागा बुनकरों को कम मिल पाता है. इसकी वजह धागे का महंगा होना है. लिहाजा, भागलपुरी रेशम की मांग भी पहले की तुलना में घट गई है. लेकिन अगर सरकार कोकून के उत्पादन पर जोर दे, तो रेशम का धागा तैयार किया जा सकता है और इसके सस्ते होने की संभावना बढ़ जाएगी.
भविष्य की चिंता में युवा बुनकर सीएम नीतीश ने किया जिक्र
हालांकि, रविवार को क्वॉरेंटाइन सेंटर का जायजा लेने के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने प्रवासी मजदूरों से बात करते हुए भागलपुर के सिल्क उद्योग का जिक्र किया था. सीएम नीतीश ने कहा, 'भागलपुर और मुंगेर में कपड़ा उद्योग, हस्तशिल्प उद्योग की अपार संभावनाएं हैं. भागलपुर का सिल्क दुनिया भर में प्रसिद्ध है. पहले यहां से सिल्क का निर्यात किया जाता था. भागलपुर के इस उद्योग की क्षमता की पहचान कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.'