भागलपुर:बिहार के सभी स्कूली बच्चे भागलपुर के बुनकर से बने कपड़े का पोशाक पहनेंगे. इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है. जिला उद्योग केंद्र ने खादी कपड़े का सैंपल बीते जनवरी माह में रेशम वस्त्र निदेशक को सौंप दिया था. बुनकर कल्याण समिति भी बीते तीन फरवरी को हैंडलूम कपड़े का सैंपल सौंप दिया है. इसको लेकर भागलपुर के बुनकर भी सैंपल तैयार करने में भी जुट गए हैं. माना जा रहा है कि सैंपल पास होते ही आगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.
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कैबिनेट की बैठक में हैंडलूम निर्मित कपड़े खरीदने के दिए गए थे निर्देश
19 जनवरी को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेटकी बैठक हुई थी. जिसमें बिहार के सभी स्कूली छात्रों को रेडीमेड ड्रेस जीविका से खरीदने और स्थानीय स्तर पर खादी पावरलूम या हैंडलूम से निर्मित कपड़े की खरीद को प्राथमिकता देने का फैसला किया था. इसके बाद से इस योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है.
रेडिमेड ड्रेस जीविका से खरीदने का फैसला यह भी पढ़ें: शिक्षकों की बहाली में बिहार फिसड्डी: 10 साल में 2 बार हुई TET परीक्षा ! NCTE ने मांगा ब्योरा
'भागलपुरी कपड़े की गुणवत्ता बेहतर है. यहां के बुनकरों के बने कपड़े उच्च क्वालिटी के होते हैं. पटना में हुई कैबिनेट की बैठक में रेडीमेड ड्रेस जीविका से खरीदने और स्थानीय स्तर पर खादी पावरलूम या हैंडलूम से निर्मित कपड़े की खरीद को प्राथमिकता देने का फैसला किया था. जिसके बाद हम लोगों से सैंपल मांगा गया था. सैंपल को भेज दिया गया है. इसके पास होते ही और आदेश स्वीकृत मिलते ही कपड़े की सप्लाई भी शुरू कर दी जाएगी'.- राम प्रकाश राणा, महाप्रबंधक, जिला उद्योग विभाग
एक करोड़ छात्र-छात्राओं को दिया जाता है पोषाक
बता दें कि पिछले कई वर्षों से पोशाक योजना के तहत स्कूली बच्चों को बुनकरों द्वारा तैयार कपड़ा देने की मांग बिहार बुनकर कल्याण समिति कर रहे थे. राज्य भर में एक करोड़ बच्चों को पोशाक योजना का लाभ दिया जा रहा है. जिसमें से 60 लाख छात्र और 40 लाख छात्राएं हैं. छात्र छात्राओं को दो-दो पोशाक दिया जाता है. छात्राओं के लिए औसतन 9 मीटर 2 सेट और छात्रों को ही साडे 6 मीटर दो सेट कपड़े की जरूरत होती है. जो बिहार सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है.