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Published : Aug 2, 2023, 4:25 PM IST

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Bhagalpur News : साइकिल से चार धाम की यात्रा पर निकले पश्चिम बंगाल के दो युवक.. सातवें दिन पहुंचे भागलपुर

पश्चिम बंगाल के दो युवक चार धाम की यात्रा पर साइकिल से निकले हुए हैं. साइकिल से चार धाम की यात्रा करेंगे. दोनों युवक ग्यारहवीं के छात्र हैं. भागलपुर पहुंचने पर दोनों ने ईटीवी भारत के साथ अपना अनुभव साझा किया और इस यात्रा के उद्देश्य के बारे में बताया. पढ़ें पूरी खबर..

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भागलपुर पहुंचे चार धाम यात्रा पर निकले साइकिल सवार

भागलपुर : बिहार के भागलपुर में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले दो युवक साइकिल से केदारनाथ सहित चार धाम की यात्रा पर जाने के दौरान कुछ देर ठहरे और यात्रा के बारे में बातचीत की. उनलोगों ने बताया कि हमलोग मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं. हमारे पिता ड्राइवर हैं. कम खर्च में चार धाम की यात्रा करने के लिए हमने साइकिल से यात्रा करने की ठानी है. इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण और साइकिल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भी उनलोगों ने इस सवारी को चुना. बुधवार को उनकी यात्रा का सातवां दिन है.

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पर्यावरण संरक्षण का दे रहे संदेश : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के निमटीटा गांव निवासी बप्पा दास व पाकुड़ जिले के चांदपुर के अष्टम दास ने यह यात्रा 26 जुलाई से शुरू की है. दोनों केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री होते हुए यमुनोत्री तक की यात्रा साइकिल से करेंगे. दोनों प्रतिदिन करीब 60 से 70 किलोमीटर की दूरी दिनभर में तय करते हैं. वहीं इसके साथ ही वेलोग गांव गांव में पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देते हैं. साथ ही जल संरक्षण और वृक्ष बचाने का संदेश देते हुए अपनी यात्रा कर रहे हैं.

"26 जुलाई को यात्रा पर निकले थे. यात्रा की प्लानिंग पिछले एक साल से बन रही थी. हमलोग पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए आगे बढ़ रहे हैं. क्योंकि कोरोनकाल के दौरान देखा गया था कि शहरों में प्रदूषण के कारण ज्यादा परेशानी हुई है"-बप्पा दास

रास्ते में रात्रि विश्राम में होती है परेशानी : दोनों युवक साधारण परिवार से हैं. उनलोगों ने बताया कि कम खर्च में हम रात्रि विश्राम करते हुए अपनी यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं. यात्रा के दौरान खर्च मैं अभी तक कोई स्पॉन्सरशिप नहीं मिला है. 500-1000 से कुछ कुछ लोग हमारी मदद करते हैं. कई जगहों पर कुछ लोग हमें खाना खिला देते हैं. वैसे यात्रा के दौरान काफी परेशानी आ रही है. फिर भी हमलोग ज्यादा से ज्यादा सफर करने का एक दिन में लक्ष्य रखते हैं. वैसे अगर कहीं किसी दिन रात्रि विश्राम की व्यवस्था नहीं हो पाती है तो मंदिर में भी रुक जाते हैं.

"हमलोगों को सबसे ज्यादा परेशानी रास्ते में रुकने की होती है. यही हमलोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. केदारनाथ जाने में डेढ़ महीना लग जाएगा" -अष्टम दास

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