भागलपुर:जिले के सदर अस्पताल के सभागार में पागल कुत्ते या अन्य जानवरों के काटने से होने वाले रोग रेबीज के उसका उपचार कैसे किया जाए और टीका और इंजेक्शन कब लगाया जाए उसके बारे में प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के दौरान दवाई बनाने वाली कंपनी भारत सिरब के डॉ. अनिरुद्ध गौड़ा ने उपस्थित डॉक्टर और स्टोरकीपर को एनिमल बाइट का इलाज करने का तरीका बताया.
बता दें कि जानवर के काटने के बाद रोग के लक्षण का समय निर्धारित नहीं है, रोगी में या तो 9 दिन या फिर वर्ष भर बाद भी लक्षण नजर आ सकता है. पैर पर यदि जानवर काटता है तो रोग का लक्षण देर से दिखाई देता है और घाव कम गहरा होता है तो उसका मतलब होता है कम मात्रा में लार पहुंचना. कुत्ता या जानवर काटने के बाद पीड़ित को शरीर में जगह जगह पर जलन, बुखार या जी मचलना, हाथ पैर में दर्द होना. उसके बाद मस्तिष्क में बुखार और सांस लेने में मुश्किल जैसे लक्षण दिखाइए देते हैं. इस लिए सही समय पर उपचार ही मात्र इलाज है. आमतौर पर लोग कुत्ता और बंदर आदि जानवरों के काटने के बाद उपचार करवाने में देर करते हैं जो जानलेवा हो जाता है.
डॉक्टरों को दिया गया प्रशिक्षण
'कुत्ते या जानवर काटे जाने वाले स्थान को अच्छे साबुन से अच्छी तरह से धोकर उस पर कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दें. इसके बाद रेबीज टीके दें. इस रोग का कोई उपचार नहीं है, केवल टीका लगाकर ही रोग से बचा जा सकता है. कौन सा टीका और सिर्फ कब देना है, उसके बारे में बारीकी से जानकारी दिया साथ ही टीके को कैसे स्टोर किया जाना है, किस टेंपरेचर में रखना है उसके बारे में भी जानकारी दिया.'- अनिरुद्ध गौड़ा, भारत सिरप, मार्केटिंग ऑफिसर