भागलपुर: जिले में 2100 करोड़ के सृजन घोटाले के 3 वर्ष पूरे हो गए हैं. 2017 में 7 अगस्त को इस मामले में पहली प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. जब एक सरकारी चेक बाउंस हो गया था. सृजन घोटाले के सूत्रधार मनोरमा देवी की मौत हो गई है. सीबीआई ने मुख्य आरोपी मनोरमा देवी के बेटे अमित और बहू रजनी प्रिया को फरार घोषित किया हुआ है. यह मामला अब सीबीआई के पास है, लेकिन तीन साल पूरा होने के बावजूद भी अभी तक कार्रवाई आधी-अधूरी है. घोटाले की राशि भी अब तक वसूल नहीं हो पाई है.
सृजन घोटाले के तीन साल पूरे
जिलाधिकारी ने बैठाई जांच कमेटी
2017 के पहले सप्ताह तत्कालीन डीएम आदेश कुमार तितरमारे का साइन किया हुआ चेक बैंक से वापस आ गया था. बैंक ने खाते में पर्याप्त रकम न रहने की बात कही थी. इस बात पर जिलाधिकारी हैरान रह गए थे. इसके साथ ही उन्होंने मामले की तह तक जाने के लिए एक जांच कमेटी बैठाई. इस दौरान उन्होंने पाया कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा स्थित सरकारी खातों में पैसा है ही नहीं. वहीं इसके बाद सृजन घोटाले की सच्चाई सामने आने लगी.
अधिकारियों की मिलीभगत से घोटला
सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय खातों में न जाकर सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम के एक एनजीओ के खातों में ट्रांसफर कर दी जाती थी. इसके बाद एनजीओ जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी पैसों का इधर-उधर किया करते थे.
सृजन घोटाले के तीन साल पूरे
बिहार का सबसे बड़ा घोटाला
इस मामले में कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार के दबाव में सीबीआई काम कर रही है. इस वजह से मामले का अब तक मुख्य आरोपी फरार है और कार्रवाई धीमी गति से की जा रही है. उन्होंने कहा कि सृजन घोटाला उजागर हुए आज तीन साल पूरे हो गए. सीबीआई एसआईटी जांच से आगे नहीं बढ़ पाई है. सीबीआई ने बड़ी मछलियों को बचाने के लिए छोटी मछलियों पर कार्रवाई कर रही है. उन्होंने कहा कि चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जाएगा. बिहार का सबसे बड़ा घोटाला साबित होने वाला यह घोटाले का उजागर सीबीआई नहीं करना चाहती है. सीबीआई केंद्र सरकार और राज्य सरकार के दबाव में काम कर रही है. उन्होंने कहा कि 2100 करोड़ रुपये के घोटाले के कारण ही जिले में बहुत सारे विकास कार्य भी बाधित हुए हैं.
कई लोग जेल में बंद
सृजन घोटाले में पूर्व एडीएम जयश्री ठाकुर और राजीव रंजन सिंह के अलावा तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार जेल में बंद हैं.. इसके अलावा 24 से अधिक इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारी कर्मचारी सरकारी कार्यालयों के पूर्व नाजिर भी जेल में बंद हैं. वहीं को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व प्रबंध निदेशक पंकज झा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. झा को सुपौल से एसआईटी के टीम ने 19 अगस्त 2017 को गिरफ्तार किया था.
अफसरों पर भी की जाएगी कार्रवाई
सृजन घोटाले में सीबीआई भागलपुर के पूर्व डीएम केपी रमैया और वीरेंद्र कुमार यादव के अलावा पूर्व डीडीसी प्रभात कुमार सिन्हा के विरुद्ध कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. इसके अलावा सृजन से जुड़े शहरी क्षेत्र के 6 अन्य लोगों पर भी चार सेट दाखिल कर चुकी है और अभी अफसर और सृजन से जुड़े लोगों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है.
कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
सरकार के निर्देश के बावजूद स्थानीय स्तर पर दोषी अफसर और कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं हो पा रही है. प्रशासन सिर्फ कुछ कर्मियों के विरुद्ध ही आरोप पत्र गठित किया है. 12 के विरुद्ध निलंबन की कार्रवाई हुई है, जबकि सामान्य प्रशासन विभाग 12 से अधिक बार पत्र भेजकर दोषी अधिकारियों और कार्रवाई कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दे चुका है. 12 जुलाई 2019 को वर्तमान जिला अधिकारी प्रणव कुमार की अध्यक्षता में सृजन घोटाले से जुड़े विभाग के अधिकारियों की बैठक भी हुई थी. इस बैठक में सभी अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था, कुछ विभागों ने कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर दी है.