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मुश्किल है ओलंपिक की राह, भागलपुर के बॉक्सिंग रिंग पर पड़ा बदहाली का 'मुक्का'

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Published : Aug 1, 2021, 10:22 AM IST

भागलपुर की बॉक्सरों को भी शौक है कि वे भी मैरी कॉम की तरह फलक तक पहुंचें. देश का नाम रोशन करे. लेकिन यह संभव तो तब होगा जब सुविधाएं होंगी. जिले में बॉक्सिंग रिंग तो है, लेकिन हालात काफी बदतर हैं. विरोधी से भिड़ना तो दूर, बॉक्सर इस रिंग पर चढ़ने से भी कतराने लगे हैं. पढ़ें रिपोर्ट.

भागलपुर
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भागलपुर:जिला स्कूल (Bhagalpur Zila School) में बना बॉक्सिंग रिंग (Boxing Ring) अब मैच के लायक ना रहा. ना ही ढंग से उसमें प्रैक्टिस हो सकती है. देखरेख के अभाव में रिंग की हालत बदतर होती जा रही है. बॉक्सिंग रिंग ही नहीं बल्कि पूरे भवन की हालत जस की तस है. जबकि इस रिंग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भागलपुर (Bhagalpur) की दो महिला खिलाड़ियों के पदक जीतने के बाद खुशी से दी थी.

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बता दें कि जिला स्कूल में लाखों रुपये की लागत से बॉक्सिंग रिंग का निर्माण कराया गया था. देखरेख के अभाव में खस्ताहाल हो रहा है. बॉक्सिंग रिंग में पानी टपक रहा है. दीवार में चारों तरफ से दरार आ गई है. रिंग में पानी टपकने के कारण प्रशिक्षण के लिए पहुंच रहे खिलाड़ियों को परेशानी हो रही है. यहां पीने की पानी की भी सुविधा नहीं है.

ऐसे में कैसे खिलाड़ी अपने आप को तैयार कर पाएंगे. देखरेख के अभाव में बॉक्सिंग रिंग लावारिस पड़ा है. बॉक्सिंग रिंग में जंग लग रहा है. छत से पानी काफी लंबे समय से टपक रहा है. यदि जल्द ही उसे रिपेयर नहीं किया गया, तो बॉक्सिंग रिंग पूरी तरह से खराब हो जाएगा.

देखें पूरी रिपोर्ट

बता दें कि जिले का इकलौता सरकारी बॉक्सिंग रिंग है. इसी लचर व्यवस्था की वजह से जापान के टोक्यो में खेले जा रहे ओलंपिक खेल में भारत के 122 खिलाड़ियों में से एक भी बिहार के खिलाड़ी नहीं हैं. जबकि बिहार देश के ज्ञान की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध रहा है. लेकिन खेल के मामले में एक भी खिलाड़ी विश्व स्तर के नहीं हैं. 10 करोड़ की आबादी वाले इस विशाल प्रदेश का एक भी खिलाड़ी ओलंपिक में नहीं खेल रहा है.

40 वर्षों से ज्यादा वक्त गुजर जाने के बाद भी बिहार के मैदान से कोई खिलाड़ी ओलंपिक में नहीं जगह बना पाया है. सभी प्रांतों की तरह ओलंपिक खेलों के लाखों करोड़ों प्रशंसक बिहार में भी हैं. लेकिन शिवनाथ सिंह के बाद बिहार की जमीन से कोई ओलंपियन नहीं खेला है.

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ऐसा नहीं है कि बिहारी युवाओं में क्षमता का अभाव है. यहां के युवा सीमित संसाधनों के बूते राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय फलक पर चमक बिखेर सकते हैं. लेकिन उनकी ऊर्जा को बेहतर प्लेटफार्म नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि बिहारी मूल से निकले कुछ खिलाड़ी दूसरे राज्यों का रास्ता पकड़ रहे हैं. राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं. लेकिन बिहार के मैदानों में खेलते हुए चमक बिखेरने की हसरत अभी अधूरी है.

2009 में पटना में खेले गए चौथे जूनियर महिला नेशनल चैंपियनशिप में भागलपुर की दो महिला खिलाड़ी नूरी परवीन और शिवानी भारती ने 2 सिल्वर मेडल और पुष्पा टुडू ने कांस्य पदक भागलपुर को दिलाया था. इससे प्रसन्न होकर तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भागलपुर को यह रिंग दिया था.

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काफी दिनों तक रखे रहने के बाद 2014 में इसे जिला स्कूल के एक हॉल में बनाया गया. लेकिन बदहाल अवस्था में पड़े इस हॉल के कारण यहां लगाया गया रिंग अब खराब हो रहा है. सीलिंग से पानी टपक रहा है. पानी सीधे रिंग पर गिरता है. इससे रिंग सड़ने लगा है.

हॉल में चारों तरफ बड़ी-बड़ी खिड़कियां हैं. उसमें पतले तार की जाली लगी है. चोर जालियों को काटकर ग्लब्स, डंबल और कई सामान भी चुरा ले गए थे. बॉक्सिंग रिंग हॉल में महिला खिलाड़ियों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है. चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं है. जिससे महिला खिलाड़ियों को काफी परेशानी हो रही है. महिला खिलाड़ी को कभी चादर लगाकर तो कभी पुरुष के चेंजिंग रूम में अपने कपड़े को बदलना पड़ता है.

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दो बार राष्ट्रीय स्तर के खेल में पदक जीत चुकी पूजा राय कहती हैं कि रिंग में पानी टपकने से प्रैक्टिस के दौरान पैर फिसल जाता है. 7 बार राष्ट्रीय स्तर के खेल में हिस्सा लेकर मेडल जीत चुकी सुषमा कुमारी ने बताया कि यहां महिला खिलाड़ियों के लिए चेंजिंग रूम तक नहीं है. पानी पीने के लिए बगल के हॉस्टल में जाना पड़ता है.

'बॉक्सिंग रिंग काफी छोटा है. महिला खिलाड़ी के लिए चेंजिंग रूम और वॉशरूम नहीं है. ऐसे में खेल के दौरान काफी असुविधा होती है. यदि इस रिंग में व्यवस्था बढ़ायी जाए, तो यहां से और भी कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर से निकलकर ओलंपिक में खेल सकते हैं. बारिश के दिनों में ज्यादा परेशानी होती है. क्योंकि रिंग में पानी टपकता है. जिससे प्रैक्टिस के दौरान पांव फिसल जाता है. इसको लेकर जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय प्रतिनिधि तक को आवेदन दिया है, लेकिन कुछ नहीं हुआ.'-पूजा राय, बॉक्सर

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'यहां किट की कमी है. जिससे प्रैक्टिस करने में परेशानी होती है. खिलाड़ी अधिक हैं और किट काफी कम. इसलिए जरूरत है किट उपलब्ध कराने की. बॉक्सिंग हॉल में चारों तरफ खिड़कियां हैं. उस खिड़की से चोर अंदर घुसकर यहां रखे किट को चुरा ले जाते हैं. महिला खिलाड़ी के लिए वॉशरूम और चेंजिंग रूम की व्यवस्था नहीं है. जिससे हम लोगों को पुरुष के चेंजिंग रूम और वॉशरूम का उपयोग करना पड़ता है. पीने की पानी की व्यवस्था नहीं है. खेल के दौरान प्यास लग जाने के बाद काफी मशक्कत करनी पड़ती है. बगल में हॉस्टल में जाकर पानी पीना पड़ता है.'-सुषमा कुमारी, बॉक्सर

'4 साल से बॉक्सिंग रिंग में पानी टपक रहा है. यदि अब जल्द ही उसे ठीक नहीं कराया तो यह सड़ जाएगा. क्वालीफाइंग मैच के लिए किट के लिए खिलाड़ियों को इंतजार करना पड़ता है. जिस कारण भी खिलाड़ियों का चयन नहीं हो पाता है. इस रिंग में खेलते हुए दर्जनों खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर के खेल में हिस्सा ले चुके हैं. जिले के लिए पदक भी जीत चुके हैं. बावजूद रिंग को ठीक नहीं किया जा रहा है.' -अजय कुमार, कोच

'बॉक्सिंग रिंग की बदहाली के बारे में जानकारी मिलने पर रिंग का निरीक्षण किया है. स्कूल के प्रधानाचार्य को बुलाकर छत के एल्बेसटस को बदलने का निर्देश दिया है. बिहार में सात स्कूल को ही बॉक्सिंग रिंग मिला है. जिसमें से एक भागलपुर में है. काफी महंगा बॉक्सिंग रिंग होता है. गर्व की बात है कि भागलपुर में बॉक्सिंग रिंग है. यहां खेलते हुए कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत चुके हैं. जल्द ही बॉक्सिंग रिंग के एल्बेस्टस को बदल दिया जाएगा. अन्य सुविधा भी जल्द ही दी जाने लगेंगी.'-संजय कुमार, जिला शिक्षा पदाधिकारी

'जिला स्कूल में बॉक्सिंग रिंग के बारे में जानकारी मिली है. बॉक्सिंग रिंग में पानी टपकता है. उसको लेकर जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश दिया है. वहां जाकर देखने के लिए कहा गया है. उसे ठीक करने का निर्देश भी दिया है. बीते 1 साल से कोई भी खेल की एक्टिविटी नहीं होने के कारण उस ओर ध्यान नहीं गया है. उसे जल्द ही अब ठीक करा लिया जाएगा.'-सुब्रत कुमार सेन, डीएम

बता दें कि इस रिंग से भागलपुर की महिला और पुरुष खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कई मेडल जीते हैं. इसमें स्कूली स्तर पर सुषमा कुमारी ने 2017 में और मुकेश कुमार ने 2013 में मेडल जीता है. जबकि एसएस गर्ल्स हाई स्कूल की पूर्व छात्रा पूजा कुमारी ने सब जूनियर स्कूली राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 2012 में कांस्य पदक जीता था. सुषमा नुजहत सहित कई खिलाड़ी हैं, जो करीब 15 से अधिक मेडल जीत चुके हैं.

बता दें कि इस बार सबसे अधिक खिलाड़ी हरियाणा से 31, पंजाब 16, तमिलनाडु 12, उत्तर प्रदेश 8, दिल्ली 5, केरल 8, मणिपुर 5 और महाराष्ट्र से 6 खिलाड़ी भारतीय दल में शामिल हैं. बिहार के अलावा छत्तीसगढ़, गोवा, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा राज्य से एक भी खिलाड़ी इस बार ओलंपिक नहीं खेल रहे हैं.

बिहार सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्टेडियम और अब खेल विश्वविद्यालय बनाने की बात कह दी गई है. सवाल यह है कि फिलहाल जो इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं, उसका रखरखाव बेहतर तरीके से नहीं किया जा रहा है. ऐसे में कहीं ना कहीं एक बड़ी लापरवाही बरती जा रही है, जिस कारण खिलाड़ी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं से वंचित रह रहे हैं. जिस कारण उनके परफॉर्मेंस में भी गिरावट आ रही है.

बता दें कि बिहार के खिलाड़ी शिवनाथ सिंह ने लगताार दो ओलंपिक (1976 मांट्रियल और 1980 मास्को) में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. उन्होंने 1976 मांट्रियल ओलंपिक मैराथन दौड़ (42 किमी) में 11वां स्थान भी हासिल किया था. उनका निधन 6 जून 2003 को 57 वर्ष की अल्प आयु में हो गया था, लेकिन उनके प्रदर्शन और जज्बे से आज भी बिहार के खिलाड़ी खुद को प्रेरित कर पाते हैं.

वहीं अब टोक्यो ओलंपिक की खबरों के बीच बिहार के खिलाड़ियों के लिए अच्छी खबर है. बिहार विधानसभा में हंगामे के बीच सदन में बिहार खेल विश्विद्यालय विधेयक- 2021 (Bihar Sports University Bill- 2021) पेश कर दिया गया. विधानसभा में खेल मंत्री आलोक रंजन झा ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को पेश किया. स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के विधयेक को सदन में पास कर दिया गया. उम्मीद है अब खेल में रुचि रखने वालों युवाओं का भविष्य उज्ज्वल होगा.

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