भागलपुर:देश में बाल मजदूरी जुर्म है. लेकिन आज भी कई ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं. जहां बच्चों के हाथों से किताबें छिनकर उन्हें किसी घर में चौका-बर्तन धोने को मजबूर किया जाता है. कुछ ऐसा ही मामला भागलपुर के सबौर में देखने को मिला. सपनों की उड़ान को रोककर एक पिता ने अपने बेटी को महज महीने के चंद सौ रुपयों के लिए चौका-बर्तन का काम थमा दिया. जिससे आजीज आकर बच्ची उक्त मालिक का घर छोड़ कर बुधवार को भागलपुर व्यवहार न्यायालय परिसर पहुंच गई.
दरअसल, कचहरी चौक पर 10 साल की बच्ची को रोता हुआ देखकर स्थानीय लोगों ने पूछताछ की. बच्ची के स्पष्ट जबाव नहीं देने पर चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर पर सूचना दी गई. सूचना मिलते ही चाइल्डलाइन की टीम कचहरी चौक पहुंची और बच्ची को अपने साथ ले गई. वहीं, बच्ची को फिलहाल बालिका गृह भेज दिया गया.
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पिता करा रहा था मासूम से बाल मजदूरी
वहीं, बच्ची की पहचान सबौर थाना क्षेत्र के रहने वाले शब्बीर आलम की दस वर्षीय बेटी निशा कुमारी के रूप में हुई. जो बीते एक महीने से खानपट्टी के रहने वाले परवीन खान के घर काम कर रही थी. मकान मालिक ने मारपीट कर उसे घर से भगा दिया. जिसके बाद वह वहां से भागकर कोर्ट पहुंच गई. बच्ची को रोते हुए देख स्थानीय लोगों ने चाइल्ड लाइन को सूचना दी. बच्ची ने चाइल्डलाइन के कर्मियों को कहा कि उसके पिता ने उसेसबौर में बाल मजदूरी पर लगाया था. वो कहती है कि, अगर वह घर जाएगी तो उसके पिता मारेंगे. उसने कहा कि वह पढ़ना चाहती है. लेकिन उसके पिता उससे मजदूरी करवाते थे.
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चाइल्ड लाइन कोऑर्डिनेटर ने कानूनी कार्रवाई की कही बात
चाइल्ड लाइनके कोऑर्डिनेटर त्रिभुवन कुमार ने बताया कि टोल फ्री नंबर पर सूचना दिया कि कचहरी चौक के समाहरणालय के पास एक बच्ची खड़ी मिली. जिसके बाद हम लोग पहुंचे और बच्ची से पूछताछ किया तो बच्ची ने बताया कि वे तिलकामांझी भट्टा रोड में परवीन खान नाम के एक घर में काम करती थी. जहां से बुधवार को उसे निकाल दिया. उन्होंने बताया कि बच्ची सबौर के रहने वाले शब्बीर आलम की बेटी निशा है. उन्होंने बताया कि बच्ची घर नहीं जाना चाहती थी. इसलिए बच्ची के बारे में लोकल थाने में सूचना देकर आवश्यक कागजी कार्रवाई कर अपने साथ बालिका गृह भेज दिया गया. वहीं, माता- पिता और जिस घर में बच्ची बाल मजदूरी करती थी उनके उपर बाल मजदूरी कानून के तहत मुकदमा दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.