भागलपुर: हमारे देश (Our Country) में बाल मजदूरी(Child Labour) एक बड़ी समस्या बनी हुई है. इस पर रोक लगाने के लिए भागलपुर प्रशासन (Bhagalpur Administration) ने कई प्रयास किए. लेकिन, अपेक्षा अनुरूप सफलता नहीं मिली है. ऐसे में एक बार फिर से बाल श्रम को रोकने के लिए, भागलपुर चाइल्ड लाइन (Bhagalpur Child Line) ने एक नया प्लान तैयार किया है. इसके लिए, अब स्थानीय स्तर पर व्यापक रूप से जागरुकता अभियान (Awareness Campaign) चलाया जा रहा है.
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बाल मजदूरी को रोकने के लिए टीम वर्क भी हो रहा है. चौबीसों घंटे चाइल्ड लाइन के सदस्य अलग-अलग शिफ्ट में इस पर काम कर रहे हैं. वहीं, रेलवे स्टेशन या मुख्य चौक-चौराहों पर जो बच्चे बोतल चुनते या बोतल बंद पानी बेचते या बाल मजदूरी करते हुए दिखाई देंगे, उन बच्चों को शेल्टर होम भेजा जाएगा. ताकि, बच्चों की आदत में सुधार हो. भागलपुर के तिलकामांझी चौक, स्टेशन चौक, स्टेशन परिसर, घंटाघर चौक, गुरहट्टा चौक सहित अन्य स्थानों पर सैकड़ों बच्चे भीख मांगते, बोतलबंद पानी बेचते या बोतल चुनते हुए दिखाई दे रहे हैं. अब ऐसे बच्चों को पकड़कर चाइल्ड लाइन शेल्टर होम भेजा जाएगा.
भागलपुर चाइल्ड लाइन के कोऑर्डिनेटर पंकज पांडे ने बताया कि हम लोगों को बच्चों की देखभाल, विकास और सुरक्षा करना कर्तव्य है. बाल संरक्षण से जुड़े, एनजीओ और चाइल्ड हेल्पलाइन के सदस्य समन्वय बनाकर कार्य कर रहे हैं. ताकि, समस्याओं का समाधान आसानी से किया जा सके. बाल विवाह, बाल मजदूरी, बाल तस्करी रोकने को लेकर कार्य योजना बनाई गई है. बाल देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की पहचान के लिए, बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष, सदस्यों का नंबर, बस स्टैंड रेलवे स्टेशन या अन्य भीड़-भाड़ वाले सार्वजनिक जगहों पर सार्वजनिक करने और प्रचार-प्रसार के लिए लगाया जा रहा है.
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बाल विवाह, बाल मजदूरी, बाल तस्करी को रोकने के लिए बैठक में कार्य योजना पर चर्चा हुई. इस बार निर्णय लिया गया है कि, स्टेशन परिसर या चौक चौराहे पर बहुत सारे बच्चे बोतल चुनते हुए, बोतलबंद पानी बेचते हुए या भीख मांगते हुए दिखाई दे रहे बच्चे, इस दौरान बच्चे चोरी भी करते हैं. ऐसे बच्चों को पुलिस, जीआरपी और आरपीएफ के सहयोग से हम लोग पकड़ कर सीडब्ल्यूसी में प्रस्तुत करेंगे और शेल्टर होम भेजेंगे. जिससे कि बच्चों को आगे इस तरह से काम करने में डर लगे. उन्होंने कहा कि इसमें थोड़ी परेशानी हो रही है, जिन बच्चे को पकड़ते हैं उनके पैरंट्स भी आकर खड़े हो जाते हैं. तो, ऐसे बच्चों को छोड़ना पड़ता है. लेकिन उन्हें, समझा-बुझाकर भेज देते हैं.