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तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में सीनेट की बैठक, हंगामे के बीच 5.96 अरब का अनुमानित घाटे का बजट पास

तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में बुधवार को शोर-शराबे और हंगामे के बीच बजट पास हो गया. वित्तीय वर्ष 2021-2022 5.96 अरब अनुमानित घाटे का बजट पेश किया गया.

सीनेट में बजट पास
सीनेट में बजट पास

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Published : Feb 11, 2021, 1:14 PM IST

भागलपुर:तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में बुधवार को सीनेट की बैठक का आयोजन किया गया. बैठक की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉ. संजय कुमार चौधरी ने की. बुधवार को 5.96 अरब अनुमानित घाटे का बजट पेश किया गया. जिस पर विरोध और जमकर हंगामा हुआ. इसके बाद अंत में त्रुटि सुधार की शर्तों के साथ बजट को पास कर दिया. बैठक में सदस्यों ने बजट को सरकार के पास भेजने से पहले उसमें त्रुटि को सुधार करने के लिए कहा है.

2021- 22 का बजट पेश
प्रभारी कुलपति ने विश्वविद्यालय में हो रहे विकास कार्यों और अन्य योजनाओं से सदन को अवगत कराया. साथ ही आगामी कार्य योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी. वहीं, कुलपति प्रो. रमेश कुमार ने वित्तीय वर्ष 2021- 22 का बजट अभिभाषण सदन के सामने प्रस्तुत किया. अपने अभिभाषण के दौरान प्रति कुलपति ने कहा कि कुल अनुमानित बजट में विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मियों के वेतन और पेंशन मद की राशि को भी शामिल किया गया है.

सीनेट में बजट पास

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से यह राशि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराई जाती है, जबकि सरकार अपने हिसाब से बजट तैयार करती है. इस कारण दोनों मदन का जिक्र टीएमबीयू के बजट में किया गया है. यदि इस राशि को कम कर दिया जाए तो टीएमबीयू का अनुमानित घटा 2 अरब हो जाएगा. उन्होंने कहा कि पारित बजट में कुल अनुमानित घटा 6.05 अरब का है. लेकिन विश्वविद्यालय की दिखाई जाने वाली आय 12 करोड़ 15 लाख घटा दी जाए तो 5.96 रह जाएगा.

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बजट सत्र की बताई गई त्रुटियां
बजट सत्र के दौरान सीनेटर मृत्युंजय सिंह गंगा ने बारी-बारी से त्रुटियों के बारे में बताया. शिक्षक नेता डॉ. दयानंद राय ने कहा कि इसे सुधार के बाद ही बजट सरकार को भेजा जाए. घाटे का बजट पेश होने के बारे में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू प्रो. रामप्रवेश सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से छात्र से ट्यूशन फीस केवल 12 रुपेये ली जाती है, जबकि विश्वविद्यालय को आमदनी फॉर्म बेचकर या परीक्षा के दौरान फॉर्म भरने या अन्य माध्यमों से होता है. जो काफी कम होता है, जबकि विश्वविद्यालय में काम करने वाले कर्मचारी और प्रो. सहित सभी अधिकारियों को अरबों रुपेये सरकार की ओर से दिया जाता है. ऐसे में हमेशा से विश्वविद्यालय की ओर से घाटे का बजट पेश किया जाता रहा है.

शिक्षक और छात्रों की परेशानी की चर्चा
बजट सत्र के दौरान मुख्य रुप से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, छात्र-छात्राओं शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को होने वाली परेशानियों को दूर करने की चर्चा हुई. साथ ही छात्र-छात्राओं के पेंडिंग रिजल्ट के नाम पर उनका दोहन, विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के प्रमोशन में धांधली और राज्य सरकार की ओर से विश्वविद्यालय प्रशासन में हस्तक्षेप पर भी चर्चा हुई. वहीं, सदन में कार्रवाई का संचालन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. निरंजन प्रसाद यादव ने किया.

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