भागलपुर: बिहार के भागलपुर का कतरनी चावलऔर चूड़ा (Katrani Chuda of Bhagalpur) देश-विदेश में अपनी खास स्वाद और सुगंध के लिए प्रसिद्ध है. यही कारण है कि हर साल कतरनी चूड़ा और चावल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भागलपुर से भेंट के स्वरूप भेजा जाता है. इस बार भागलपुर में कतरनी धान की उपज काफी कम (Production of katarni dhaan decreased in Bhagalpur) हुई है. यही कारण है कि यह भेंट राष्ट्रपति और पीएम तक नहीं जा सकेगा.
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कम बारिश के कारण उपज प्रभावितःभागलपुर जिले में इस वर्ष समय पर बारिश नहीं होने के कारण धान का उत्पादन कम हुआ है. विशेषकर प्रसिद्ध कतरनी धान की खेती इस वर्ष कम हुई है. साथ ही साथ अब इसके उत्पादन पर भी किसानों में संशय बरकरार है. आशंका है कि देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत देश के कई गणमान्य भी इसका आनंद नहीं ले सकेंगे. दरअसल, बारिश नहीं होने के कारण पूर्वांचल के धान का कटोरा कहे जाने वाले जगदीशपुर में इस वर्ष 100 से डेढ़ सौ एकड़ में ही खेती हुई है. लगातार बारिश नहीं होने के कारण फसल को नुकसान हुआ है.
कतरनी धान को मिला हुआ है जीआई टैगः इस समय धान की बालियां लाल होकर झुक जाती थी या धान कटाई की तैयारियां शुरू हो जाती थी. इस वक्त खेतों में कतरनी धान हरे-भरे ही हैं या फिर कई खेतों में अब तक बालियां भी नहीं फूट सकी है. लिहाजा किसान परेशान हैं. जिले के जगदीशपुर, सुल्तानगंज व सन्हौला में धान की बेहतर पैदावार होती थी. इसके लिए भागलपुर को खास ख्याति मिली है. यहां की कतरनी की खासियत खुशबू व नैसर्गिक गुण को देखते हुए ही भारत सरकार ने 2017 में इसे भौगोलिक सूचकांक (जीआई टैग) प्रदान किया था.
इस बार कतरनी धान की आधे से भी कम हुई है खेतीः2020-21 में कतरनी धान की खेती 1400 एकड़ में की गई थी. इस वर्ष महज 50 से 60% ही धान की खेती हो सकी है. किसानों से बात करने पर उन्होंने बताया कि हर वर्ष के मुकाबले इस वर्ष पैदावार बहुत कम होने वाली है. कई किसानों ने कर्ज लेकर खेती की थी. उनके सामने अब कर्ज चुका पाने की भी समस्या आ जाएगी. जगदीशपुर इलाके के किसानों की कमाई का जरिया धान है.किसान जितेंद्र ने बताया कि इस बार मौसम ने साथ नहीं दिया और सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया है.