बिहार

bihar

ETV Bharat / state

सरकार के खोखले दावों की जमीनी हकीकत! खुले आसमान के नीचे सोने को विवश हैं रिक्शा चालक

आजादी के 74 साल बाद भी देश में गरीबी, बेबसी और लाचारी से आजादी नहीं मिल पायी है. भागलपुर के लोहिया पुल पर आज भी सैकड़ों रिक्शा चालक खुले आसमान के नीचे सोने को विवश हैं. नगर निगम के दर्जनों रैन बसेरों पर अवैध कब्जा है.

patna
patna

By

Published : Aug 16, 2020, 1:51 PM IST

भागलपुरःरविवार को देश को आजाद हुए 74 साल हो गए. वहीं इसके जश्न में पूरा देश डूबा हुआ था. समृद्ध लोग अपने-अपने तरीके से इस कोरोना काल में 74वां स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे थे. लेकिन इस 74 वर्षों में जिससे देश ने आजादी नहीं पाई है, वह है गरीबी, बेबसी और लाचारी.

फुटपाथ पर सो रहा रिक्शा चालक

खुले आसमान के नीचे रात गुजार रहे रिक्शा चालक
भागलपुर के लोहिया पुल (उल्टा पुल) पर रोजाना सैकड़ों की संख्या में रिक्शा चालक खुले आसमान के नीचे सोने को बेबस हैं. यह वह रिक्शा चालक हैं जो दो वक्त की रोटी कमाने के लिए अपने गांव से दूर शहर में आए हैं. दिन भर कमाने के बाद रात को चूड़ा मूढ़ी खाकर ये सोते हैं. फिर अगले सुबह कमाने की जुगत में लग जाते हैं. दिन भर रिक्शा चलाकर महज 125 रुपया से लेकर 150 रुपया तक ही कमा पाते हैं. उसमें से 60 रुपया रिक्शा का किराया देना पड़ता है.

फुटपाथ पर सोता रिक्शा चालक

रिक्शा चलाकर घर परिवार का करते हैं भरण पोषण
रिक्शा चालक संजय तांती ने बताया कि उनके चार बच्चे हैं. रोज रिक्शा चलाकर घर परिवार चलाते हैं. उन्होंने कहा कि 7 से 8 दिन बाद घर जाते हैं और जो कमाया हुआ पैसा है, वह देकर वापस शहर चले आते हैं.

रोजाना कमाते हैं 100 से 150 रुपये
अजय मंडल ने बताया कि सरकारी अनाज जो मिलता है, उससे परिवार का पेट नहीं भरता है. इसलिए शहर आकर रोजाना 100 से 150 रुपया कमाते हैं. उसमें से रिक्शा किराया देने के बाद जो बचता है. उसे रखते हैं और जब घर जाते हैं तो दे देते हैं.

खाना खाता रिक्शा चालक

बारिश में पन्नी लगाकर सोते हैं
मनसुख दास ने बताया कि खुले आसमान में रहने से डर लगता है, बारिश आ जाती है तो पन्नी लगाकर सोना पड़ता है. उन्होंने कहा कि फुटपाथ पर सोना हमारा शौक नहीं है. लेकिन गरीबी और मजबूरी में इंसान क्या करे.

फुटपाथ ही सहारा
बबलू हरिजन ने कहा कि कोई चारा भी नहीं है. इसलिए खुले आसमान के नीचे ही सोते हैं. कमाएंगे नहीं तो खाएंगे क्या, लॉकडाउन के कारण कमाई नहीं हो पा रही है. फुटपाथ ही हमारा सहारा बना हुआ है. हम जैसे गरीबों का जीवन तो इसी तरह फुटपाथ पर ही गुजरता है.

देखें पूरी रिपोर्ट

रैन बसेरों पर अवैध कब्जा
नगर निगम के दर्जनों रैन बसेरा भी शहर में है. लेकिन उन पर अवैध कब्जा है. साथ ही नगर निगम प्रशासन की ओर से रिक्शा चालक कैसे रेन बसेरा तक पहुंचे. उसको लेकर किसी भी तरह की कोई पहल नहीं हुई और ना ही कहीं कोई बोर्ड या होर्डिंग लगाया गया है. यही वजह है कि जानकारी के अभाव में रिक्शा चालक रैन बसेरा तक नहीं पहुंच पाते हैं और वे खुले में सोने को विवश हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details