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भागलपुर: नाथनगर में बाढ़ से बेहाल हुई जिंदगी, टापू में तब्दील हुआ इलाका

बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि सरकार की ओर से न ही सिर ढकने के लिए प्लास्टिक शीट मिली है और न ही खाने के लिए भोजन. लोग बाढ़ का गंदा पानी पी रहे हैं. इस कारण बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं.

भागलपुर में बाढ़ का कहर

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Published : Sep 25, 2019, 11:50 AM IST

भागलपुर: गंगा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोंत्तरी से पूरा जिला टापू में तब्दील हो गया है. कई जगहों से जिले का संपर्क भंग हो गया है. नाथनगर भी बाढ़ के पानी में डूब गया है. जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है. लोग मवेशियों को लेकर लोग सड़कों पर गुजर बसर करने को मजबूर हैं. पीड़ितों के मुताबिक अभी तक किसी भी तरह की कोई सरकारी सहायता नहीं पहुंचाई गई है. इसे लेकर बाढ़ पीड़ितों में आक्रोश है.

नाथनगर के एनएच 80 के पास में बसे मिर्जापुर, बिशनपुर, सत्संग नगर और फतेहपुर में हाल के 3 दिनों में गंगा का जलस्तर काफी ज्यादा बढ़ गया है. जलस्तर बढ़ने से मुख्य सड़क को छोड़कर आस-पास के गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. लोग गांव छोड़कर एनएच 80 के मुख्य सड़क पर कई दिनों से शरण लिये हुए हैं.

नाथनगर से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार की ओर से कोई मदद नहीं
बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से ये सभी एनएच 80 पर रह रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी सरकारी बाबू ने इनकी सुध नहीं ली. सरकार की ओर से न ही सिर ढकने के लिए प्लास्टिक शीट मिली है और न ही खाने के लिए भोजन. जैसे-तैसे ये लोग गुजर-बसर कर रहे हैं. इन्हें पीने के लिये शुद्ध पानी भी नसीब नहीं है. लोग बाढ़ का गंदा पानी पी रहे हैं. इस कारण बच्चे भी बीमार पड़ रहे हैं.

NH-80 पर बाढ़ पीड़ितों ने लिया शरण

क्या कहते हैं जिला पदाधिकारी
इधर, पूरे मामले पर जिला पदाधिकारी प्रणव कुमार का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद दी जा रही है. जिन इलाकों में बाढ़ का पानी घुसा है, वहां के लोगों के लिए अस्थाई तौर पर शेड बनाये गये हैं. लोगों के बीच सहायता राशि और भेजने का प्रयास किया जा रहा है. फरक्का बराज के कई द्वार खोल दिए गए हैं जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि गंगा का जलस्तर धीरे-धीरे घटेगा..

सरकार की ओर से नहीं मिली कोई मदद

बाढ़ पीड़ितों के लिये चलाए जा रही 80 नाव
जिला पदाधिकारी का कहना है कि कुल 73 पंचायतें बाढ़ से प्रभावित हैं. लोगों की सुविधा के लिये 80 नाव चलाई जा रही हैं. सामुदायिक रसोई का भी प्रबंध किया गया है. उन्होंने बताया कि कई इलाकों से ऐसी बात आ रही है कि राहत सामग्री अभी तक बाढ़ पीड़ितों के पास नहीं पहुंची हैं. इसे लेकर सभी विभागाध्यक्ष को बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने को लेकर निर्देशित कर दिया गया है.

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