भागलपुर: शहर के बीचों-बीच स्थित लाला लाजपत पार्क अगस्त क्रांति का गवाह रहा है. 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय पर झंडा फहराने के दौरान 7 छात्र शहीद हो गए थे, उनमें से एक भागलपुर के रहने वाले छात्र सतीश प्रसाद झा भी शामिल थे. सतीश प्रसाद झा मूल रूप से तब का भागलपुर बांका के खड़हरा गांव के रहने वाले थे. उनके शहीद होने के बाद अजादी की चिंगारी पूरे बिहार में फैली थी. वहीं 11 अगस्त 1942 को लाजपत पार्क में अगस्त क्रांति से संबंधित एक सभा भी हुई थी.
सरकार ने नहीं दिया ध्यान
इस पार्क में महात्मा गांधी ने 1934 में और सुभाष चंद्र बोस ने 1940 में एक सभा को संबोधित किया था. सरोजिनी नायडू और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे महान विभूतियों ने भी इस पार्क में सभा को संबोधित किया, लेकिन अब लाजपत पार्क में उनकी यादों को संजोने के लिए सरकारी स्तर पर कोई पहल नहीं की जा रही है. लाजपत पार्क में उनकी याद में कोई भी स्मृति नहीं है.
हालांकि कुछ वर्ष पहले ही लाजपत पार्क बिहार-बंगाली समिति की ओर से सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की गई है, जबकि पार्क में नगर निगम की ओर से बच्चों के खेलने से लेकर अन्य सौंदर्यकरण के कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन नई पीढी पार्क के इतिहास को जाने और समझे उसको लेकर किसी भी तरह की कोई पहल नहीं हो रही है. वहीं अगस्त के महीने में हिंदुस्तान की आजादी के लिए आजादी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों ने कुछ ना कुछ किया था.
महान विभूतियों ने जन आंदोलन को किया था संबोधित
1928 में पंजाब में लाला लाजपत राय की हत्या होने के बाद उनकी स्मृति और याद में स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद दीप नारायण सिंह ने अपने निवास स्थल के सामने 30 एकड़ भूमि लाजपत राय के नाम से दान दे दिया. यह वह धरती है जिस पर हिंदुस्तान के स्वतंत्रता से जुड़े हुए तमाम बड़े-बड़े देशभक्तों ने सभा को संबोधित किया था. इस पार्क में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरोजिनी नायडू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे महान विभूतियों ने जन आंदोलन को भी संबोधित किया था.
सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा 1934 में बिहपुर के रास्ते महात्मा गांधी स्ट्रीमर से भागलपुर पहुंचे थे और वे दीप नारायण सिंह जी के आवास जो अभी का जज आवास है, उसमें ठहरे थे. जिसके बाद उन्होंने सभा को संबोधित किया था. जिस जगह से महात्मा गांधी ने सभा को संबोधित किया था. वहां दो तिरंगा भी बनाया गया था. एक तिरंगा अपना अस्तित्व खो चुका है, जबकि दूसरा तिरंगा अपना अस्तित्व बचाने में लगा हुआ है. पूरे पार्क में कहीं पर भी लाला लाजपत राय या अन्य स्वतंत्रता सेनानियों कि कोई भी स्मृति चिन्ह नहीं लगाई गई है.
लाजपत पार्क की गुम हो रही महत्ता
कालांतर में लाजपत पार्क के बारे में लोग भूल जाएंगे की आजादी के समय में इसकी क्या महत्ता रही है. 30 एकड़ की भूमि लाजपत पार्क के नाम से दिया गया, अभी महज कुछ एकड़ भूमि ही बचा हुआ है. बाकी में कला केंद्र, आईएमए हॉल, स्कूल और चिल्ड्रन पार्क बना दिया गया. बचे हुए जगह पर भी नगर निगम की ओर से वाटर टावर लगाया जा रहा है, लेकिन इस पार्क की महत्ता को बताने के लिए किसी भी तरह की कोई कार्य नहीं की जा रही है.