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'मंजूषा' को वैश्विक पहचान दिलाने की प्रदर्शनी में हो रही खानापूर्ति

भागलपुर की प्रसिद्ध चित्रकथा मंजूषा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए उद्योग विभाग ने छह दिवसीय मंजूषा महोत्सव का आयोजन किया है. हालांकि यह महज खानापूर्ति के लिए लगाई गयी है. प्रदर्शनी देखने आए कई लोग ऐसे थे जिन्हें इस कला के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है.

मंजूषा महोत्सव और प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

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Published : Feb 7, 2019, 9:58 AM IST

भागलपुर : अंग प्रदेश की प्रसिद्ध चित्रकथा मंजूषा को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए छह दिवसीय मंजूषा महोत्सव का आयोजन किया गया है. उद्योग विभाग ने भागलपुर सैंडिस कंपाउंड में यह आयोजन किया है.

खानापूर्ति के लिए लगाई गयी है प्रदर्शनी

महोत्सव में विभाग ने मंजूषा को लेकर कई स्टॉल लगाए हैं. हालांकि इस महोत्सव और प्रदर्शनी से प्रतीत हो रहा है कि यह महज खानापूर्ति के लिए लगाई गयी है. जिस मंजूषा की झलक प्रदर्शनी में नजर आनी चाहिए थी वह पूरे महोत्सव में देखने को नहीं मिली.

दर्शकों को कला की नहीं है जानकारी

प्रदर्शनी देखने आए कई लोगों को इस कला के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी. इस महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम से भी लोगों को मंजूषा और अंग प्रदेश की संस्कृति से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यह कारगर होती नजर नहीं आ रही.

मंजूषा महोत्सव और प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

अंग प्रदेश की प्रसिद्ध चित्रगाथा है मंजूषा

बता दें कि भागलपुर के अंग प्रदेश की प्रसिद्ध लोकगाथा बिहुला विषहरी की कहानी पर आधारित चित्रगाथा ही मंजूषा है. यह पूरे अंग प्रदेश में काफी प्रसिद्ध है जिसमें बिहुला विषहरी के साथ ही पूरी लोकगाथा का चित्रांकन किया गया है.

चित्रांकन में सिर्फ लाल हरे और पीले रंग का ही होता है प्रयोग

इसकी खास बात यह है कि चित्रांकन में सिर्फ लाल हरे और पीले रंग का ही इस्तेमाल किया जाता है. भागलपुर वासी लगातार इसे बिहार की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग की तर्ज पर वैश्विक पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है.

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