भागलपुरः बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार एनडीए और महागठबंधन अपने नए समीकरण के साथ चुनावी मैदान में उतरी है. बिहार में एनडीए से अलग हुई एलजेपी ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं. भागलपुर विधानसभा समेत पूरे बिहार में 5 जगहों पर बीजेपी के खिलाफ एलजेपी ने अपने प्रत्याशी दिए हैं.
इस बार भागलपुर विधानसभा का मुकाबला काफी दिलचस्प होने के साथ-साथ त्रिकोणीय दिख रहा है. भागलपुर विधानसभा में कांग्रेस और अन्य पार्टियों से कई बार चुनाव लड़ चुके अजीत शर्मा भी मैदान में हैं. 2015 की विधानसभा में भागलपुर से अजीत शर्मा ने बीजेपी के अर्जित शाश्वत चौबे को हराया था.
बीजेपी के सामने खड़ी है लोजपा
कभी बीजेपी का गढ़ रहे भागलपुर में कांग्रेस ने सेंधमारी कर दी और लगातार चुनाव हार रही बीजेपी पार्टी 3 खेमे में बट कर रह गई. बीजेपी का गढ़ रहे भागलपुर में भाजपा प्रत्याशी के हार की बड़ी वजह लोग उम्मीदवार का गलत चयन भी बताते हैं. इस बार भागलपुर में नए समीकरण के साथ विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. जिसमें केंद्र में एनडीए गठबंधन में शामिल एलजेपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी के सामने खड़ी है.
समर्थकों के साथ लोजपा प्रत्याशी बढ़ गईं हैं कांग्रेस प्रत्याशी की मुश्किलें
लोजपा उम्मीदवारों ने बीजेपी के उम्मीदवार के साथ-साथ भागलपुर और नाथनगर विधानसभा से निर्वाचित विधायक अजीत शर्मा एवं लक्ष्मीकांत मंडल की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. 2015 विधानसभा चुनाव में साथ में लड़ी एलजेपी और बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था.
2015 विधानसभा चुनाव में बिहार का समीकरण बिल्कुल उलट था. नीतीश कुमार और लालू यादव एक साथ चुनाव लड़ रहे थे तो रामविलास पासवान की एलजेपी और बीजेपी एनडीए गठबंधन की तरफ से चुनाव लड़ रहे थे.
जनता के सामने असमंजस की स्थिति
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जिस तरह से नया समीकरण उभर कर सामने आया है, उसमें जनता के सामने काफी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है. केंद्र में एनडीए गठबंधन में रहने वाली पार्टी अलग-अलग होकर चुनाव लड़ रही है ऐसे में सभी नेता लगातार चुनावी सभा कर रहे हैं.
इसी क्रम में देश के प्रधानमंत्री और भाजपा के सबसे बड़े प्रचारक नरेंद्र मोदी भागलपुर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे. वो लोगों से भाजपा के पक्ष में वोट देने की अपील करेंगे.
'चेहरा नहीं होगा उम्मीदवार चुनने की वजह'
इस बार नए समीकरण को देखकर यही कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी का चेहरा देखकर लोग मतदान नहीं करने जा रहे हैं.
इस बार व्यक्तित्व के आधार पर भागलपुर का चुनाव होने जा रहा है. जिसमें लोग अपने पसंद को पहली प्राथमिकता देंगे. लगातार पार्टियों के बदल रहे समीकरण से आम लोग राजनीतिक पार्टियों को लेकर उदासीन दिख रहे हैं.