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अदालत में महिला का दर्द सुनकर जज साहब ने खुद चुकाया बैंक लोन, पति की कैंसर से हुई थी मौत

नवगछिया में राष्ट्रीय लोक अदालत (National Lok Adalat in Naugachhia) की बेंच संख्या 1 के एडीजे 3 अमिताभ चौधरी ने मानवता की मिसाल कायम की है. दरअसल, पति की कैंसर से मौत हो जाने के बाद ली गई राशि वापस करने में विधवा महिला ने असमर्थता जाहिर की थी, जिसके बाद न्यायाधीश ने महिला की सहायता करते हुए 25 हजार की राशि का बैंक की शाखा में भुगतान कर दिया.

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Published : Mar 13, 2022, 6:41 PM IST

राष्ट्रीय लोक अदालत
राष्ट्रीय लोक अदालत

भागलपुर: भागलपुर जिले में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में लोन सेटलमेंट कराने कोर्ट पहुंची विधवा का दर्द सुनकर जज ने 25 हजार देकर बैंक का ऋण चुकाया (Judge repaid Widow Debt). दरअसल, नवगछिया कीराष्ट्रीय लोक अदालत की बेंच संख्या एक के एडीजे तृतीय अमिताभ चौधरी मामले की सुनवाई कर रहे थे. इसी दौरान उनके सामने भारतीय स्टेट बैंक से लिए गए ऋण का एक मामला सामने आया. जहां एक विधवा महिला ने पति की कैंसर से मौत हो जाने के बाद ली गई राशि वापस करने में असमर्थता जाहिर की. जिसके बाद जज ने महिला की सहायता करते हुए 25 हजार की राशि बैंक की शाखा में भुगतान कर मानवता की मिसाल कायम की है.

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जज ने दिया मानवता का परिचय:खरीक बाजार स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा के सर्टिफिकेट केस के प्रतिवादी नंदलाल दास के वादों की सुनवाई के क्रम में उनके पास बैंक का 1,06,836 रुपया बकाया था. बैंक का ऋण वापस नहीं करने पर विधवा महिला पर सर्टिफिकेट केस कर दिया गया था. महिला ने बताया कि उसके पति की मौत कैंसर से पैसे के अभाव में इलाज नहीं होने के कारण हो गई थी. उसका एकमात्र बेटा है, जो मंदबुद्धि है. जीवन यापन का कोई जरिया नहीं है. जिसके बाद महिला की दैनिक स्थिति देखते हुए न्यायाधीश ने राशि का भुगतान कर दिया.


776 मामलों का निपटारा:आपको बता दें किनवगछिया व्यवहार न्यायालय में लोक अदालत में 776 वादों का निपटारा किया गया. बेंच संख्या एक में लंबित दुर्घटना दावा वाद के छह मामलों और भारतीय स्टेट बैंक के 233 मामले निष्पादित हुए. बेंच संख्या दो में तीन दुर्घटना वाद का निष्पादन हुआ. वहीं, दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक के 179 मामलों का निष्पादन हुआ. बेंच तीन में न्यायालय के 24 मामलों और बीएसएनएल के 10 मामलों का निष्पादन हुआ. बेंच चार में न्यायालय के 16 मामलों और यूको बैंक के 177 मामले निष्पादित किए गए. बेंच पांच में न्यायालय के 17 मामले और बैंकों के 52 मामलों का निष्पादन हुआ. बेंच छह में 22 मामले का निष्पादन किया गया. बैंकों के 37 ऋण वसूली के मामले निष्पादित किए गए.

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