भागलपुरः गुरुवार रात बिहार के भागलपुर में हुए भीषण विस्फोट (Bhagalpur Blast Case) में अब तक 15 लोगों की मौत हो गई है. शहर के काजवली चक इलाके में गुरुवार रात करीब 11.30 बजे यह धमाका हुआ था. चार घर पूरी तरह जमींदोज हो गए थे, जबकि कुछ अन्य घर भी इसकी जद में आए. बताया गया कि जहां विस्फोट हुआ है, वहां बिना लाइसेंस के पटाखे की फैक्ट्री चलायी जा रही थी. लेकिन पटाखा फैक्ट्री में इतना बड़ा धमाका होना शक की सूई को अपनी तरफ खींच रहा है. हर पहलू पर जांच करने के लिए अब आतंकवाद निरोधक दस्ता (ATS) को भी लगा दिया गया है. पटना से एटीएस की बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल टीम भागलपुर पहुंच कर सबी बिंदुओं पर जांच कर रही है.
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जांच में मिले हैं कई सबूतः आपको बताएं कि एसडीपीओ सिटी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है, जिसमें एसएचओ मुजाहिदपुर, हबीबपुर, सबोर, जोकसर एसआई सुनील झा एवं अन्य लोगों को शामिल किया गया है. एसआईटी वैज्ञानिक अनुसंधान से यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि आखिर इतना बड़ा विस्फोट क्यों हुआ. यह जानना अहम है कि मौके पर से जांच के दौरान कई ऐसे सबूत मिले हैं, जो किसी भारी बम बनाने की तरफ इशारा कर रहे हैं. बारूद के अंश, भारी मात्रा में कीलों का मिलना यह चीख-चीखकर कह रहा है कि वहां घातक बम बनाए जा रहे होंगे. जांच के दौरान काफी केमिकलों की भी बरामदगी की बात सामने आ रही है. धमाके के मलबे को जहां फेंका गया ता, वहां पर एसआईटी ने जांच की. जांच में सुतली भी बरामद की गई.
मौके पर से मिले हैं कील और केमिकलः जानकारों के मुताबिक घातक बम बनाने में कील और केमिकल का इस्तेमाल होता है. कील, केमिकल और सुतली मिलना केवल पटाखा बनाने की तरफ इशारा नहीं करता है. बल्कि बताता है कि अपराधियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले घातक बम यहां बनाए जा रहे होंगे. जानकारी के लिए बता दें कि डीजीपी ने भी प्रेस कांफ्रेंस में केमिकल मिलने की बात की थी और शनिवार को सुतली भी मिला. शक की सूई घातक बम बनाने की तरफ इसलिए इशारा करवा रही है क्योंकि जहां धमाका हुआ वहां अवैध रूप से पटाखा बनाया जा रहा था.
2005 में इसी तरह पटना दहला थाः आइये आपको 17 साल पहले की इसी तरह की घटना से रूबरू कराते हैं. 15 सितंबर 2005 में भी पटना इसी तरह दहला था. 27 लोगों की मौत ने लोगों के रौंगटे खड़े कर दिए थे. धमाके की आवाज इतनी ज्यादा थी कि दूर-दूर तक उसकी गर्जन सुनाई पड़ी थी. पुलिसिया जांच में इसे पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट से जोड़कर देखा और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. लेकिन देश में हुई एक बड़ी घटना ने सभी का ध्यान पटना के उसी पटाखा फैक्ट्री पर केंद्रित कर दिया था. 11 साल बाद 2016 में खुलासा हुआ कि वह धमाका दरअसल आतंकी संगठन से जुड़ा था. अब गौर करनेवाली बात यह है कि भागलपुर में भी पुलिस फिलहाल कह रही है कि पटाखा फैक्ट्री में धमाका हुआ है.
बांग्लादेश में रची गई थी पटना ब्लास्ट की साजिशः 2005 की कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 15 सितंबर 2005 में पटना के खुसरूपुर के मियां टोली में हकीम मियां के घर बड़े विस्फोट से पूरा देश हिल गया था. उस वक्त भी पटाखे की अवैध फैक्ट्री में विस्फोट हुआ, ऐसी जानकारी दी गई थी. लेकिन 11 साल के बाद 2016 में उस विस्फोट का कनेक्शन आतंकियों से जुड़ गया. 28 जुलाई 2005 को जब राजगीर से दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में यूपी के हरपालगंज स्टेशन के पास आतंकियों ने ब्लास्ट किया, तो उसकी जांच काफी सालों तक चली. श्रमजीवी एक्सप्रेस को उड़ाने के लिए आतंकियों ने मियां टोली के घर में विस्फोटक बनाया था और बाद में उस घर को ही उड़ा दिया था. यह खुलासा श्रमजीवी एक्सप्रेस विस्फोट कांड में कोर्ट से फांसी की सजा पाने वाले आतंकी (मुख्य आरोपी) रोनी उर्फ आलमगीर के स्वीकारोक्ति बयान से हुआ था. मुख्य आरोपी के खुलासे के बाद इस घटना का बांग्लादेश का कनेक्शन सामने आया और पटना पुलिस की जांच की थ्योरी सवालों के घेरे में आ गई.
दुबारा जांच की उठी थी बातःइस विस्फोट से अन्य विस्फोट के तार भी जुड़ सकते हैं. इसका भी एक तथ्य आपको बताते हैं. 2005 में राष्ट्रपति शासन लागू होने के कारण पटना विस्फोट की जगह पह़ुंचे जदयू नेता नीतीश कुमार (मुख्यमंत्री) ने तब घटना को लेकर प्रशासन से काफी तल्ख सवाल पूछे थे. घटना के 11 साल बाद जब मुख्य आरोपी के बयान से आतंकी कनेक्शन जुड़ा तो पूर्व डीजीपी आशीष रंजन सिन्हा ने जांच का विषय बताया. उन्होंने कहा था कि आतंकी रोनी का बयान कहां तक सही है, वेरिफाई करना होगा. यह देखना होगा कि उसकी इस बात को अदालत ने माना है या नहीं. अगर उसका बयान सही है, तब तो फिर से उस मामले का जांच करना उचित होगा. जान लें कि सीआरपीसी के तहत यह प्रावधान है कि किसी पुराने मामले में नया तथ्य आने पर पुलिस कोर्ट से आदेश लेकर फिर से जांच कर सकती है. हालांकि समय के साथ 2022 में पूरा मामला ठंडा पड़ गया है. लेकिन इस विस्फोट के बाद से पटना विस्फोट के तार भी जुड़ने की संभावना है.
बांग्लादेशी था मास्टरमाइंडः 2005 में हुई विस्फोट की घटना के 11 साल बाद साल 2016 में मास्टरमाइंड के बयान से खुलासा हुआ था कि बांग्लादेश के रानीनगर निवासी आतंकी रोनी का एक पार्लर था. बांग्लादेश के रानीबाजार स्थित स्काई ब्यूटी पार्लर में रोनी ने साथियों के साथ श्रमजीवी एक्सप्रेस को उड़ाने की साजिश रची थी. घटना को अंजाम देने के लिए आतंकियों का ग्रुप पश्चिम बंगाल के रास्ते ट्रेन से खुसरूपुर पहुंचा था. इसके बाद मियां टोली में आतंकियों ने बम बनाने सामान लिया और वहीं बम बनाए. 28 जुलाई 2005 को राजगीर से दिल्ली जा रही श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में यूपी के हरपालगंज स्टेशन के पास आतंकियों ने ब्लास्ट करने के कुछ समय बाद हकीम मियां के घर (पटाखा फैक्ट्री) को भी उड़ा दिया था, जिसमें बम बनाए गए थे.
आरडीएक्स के इस्तेमाल से किया गया था ट्रेन में ब्लास्टः श्रमजीवी एक्सप्रेस ब्लास्ट में आरडीएक्स के इस्तेमाल की बात आई थी. बिहार के पुराने पुलिस अधिकारियों का कहना है कि खुसरूपुर की मियां टोली में अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट के बाद आसपास हाहाकार मच गया था. हकीम मियां के घर व पटाखा फैक्ट्री के साथ आसपास के कई मकान भागलपुर की घटना की तरह मलबे में तब्दील हो गए थे. धमाका इतना तेज था कि एक किलोमीटर तक उसकी आवाज सुनी गई थी. इस घटना में 27 लोगों की मौत के अलावा 50 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस घटना को लेकर पहले से ही विस्फोटकों के बीच आरडीएक्स होने की आशंका जताई जा रही थी. क्योंकि श्रमजीवी ब्लास्ट में भी आतंकियों ने आरडीएक्स, अमोनियम नाइट्रेट, फ्यूल ऑयल का मिश्रण व अन्य विस्फोटकों का इस्तेमाल किया था. यहां याद दलिना उचित होगा कि भागलपुर विस्फोट की जगह से भी कई केमिकल मिले हैं. खुसरूपुर में भी विस्फोट स्थल पर जिलेटिन की छड़, तीन ड्रम खतरनाक केमिकल और काफी मात्रा में विस्फोटक सामान मिले थे.